Monday 13 April 2015

मध्यपूर्व अध्ययन यात्रा -2

सोने का, सोने सा अमीरात-दुबई

अरूण जैन
बदलते समय के साथ लोगों की पसंदगी-नापसंदगी भले ही कितनी भी बदली हो, पर सोने के प्रति आकर्षण पहले भी था, आज भी है और आगे भी ऐसा ही बना रहेगा । सरकारों ने कई उपाय अपनाए कि सोने के प्रति लगाव और संग्रहण में कमी आए । फिर भी सोने के आयात में वर्ष-दर-वर्ष बढ़ोतरी ही हो रही है । शायद यह भी दुबई की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण है, जिसके बाजार सोने से पटे पड़े हैं ।
दुबई को विश्व में ‘‘सोने का शहर (सिटी आॅफ गोल्ड)’’ के नाम से जाना जाता है । क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा सोने के व्यापार पर आधारित है । इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2011 में दुबई का सोने का कुल व्यापार 580 टन पर पहुंच गया था । मैं जब अपने ठहरने के होटल पर सुबह पहुंचा तो मन में सबसे पहली जिज्ञासा ‘‘गोल्ड मार्केट’’ देखने की थी । तैयार होकर जब पूछताछ की तो पता चला कि दुबई में दो मुख्य गोल्ड मार्केट है - ‘ओल्ड गोल्डसुख’ और ‘न्यू गोल्डसुख’ । टेक्सी चालक और गाइड भी इन क्षेत्रों को इसी नाम से पुकारते और जानते हैं । जैसा कि नाम से ही जाहिर है ‘ओल्ड गोल्डसुख’ सर्वाधिक पुराना मार्केट है । यदि आप भारत में नाथद्वारा (राजस्थान) गए, हों तो आप ओल्ड गोल्डसुख की गलियों की कल्पना कर सकते हैं । गलियां, गलियों में गलियां, और सभी में लकड़ी की कामगारी की दुकाने । वैसे तो इस मार्केट में दिन भर रौनक बनी रहती है, पर शाम ढलते ही यहां का नजारा अत्यन्त लुभावना और आकर्षक हो जाता है । छोटी-छोटी सैकड़ो दुकानें । एक-एक दुकान में कांच के शो रूम में जगमगाते छोटे-बड़े, विशालकाय हार, चूडियां, कान के टाप्स और कड़े । मेरा ख्याल है कि एक-एक दुकान में करोड़ों का सोना होगा । इसके साथ ही सानेके बिस्कुट और गिन्नियां भी बहुतायत में हैं । आपको जानकर, सुखद आश्चर्य होगा कि सोने के भाव में, भारत में और यहां पर लगभग तीन से साढ़े-तीन हजार रूपए प्रति 10 ग्राम का अंतर है । सोना तुलनात्मक रूप से सस्ता ही है । ड्यूटी फ्री पोर्ट होने से यह अंतर है । फिर किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं । शुीता ग्यारंटीड है । इस अंतर के बाद भी बारगेनिंग (सौदेबाजी) तो है ही । भारत में अधिकतम 98 प्रतिशत शुीता का सोना ही मिलता है, पर दुबई में शुीता 99 प्रतिशत उपलब्ध है,


जो विश्व में संभवतया और कहीं नहीं है । दुकानदारों में अधिकांश गुजराती हैं । खरीददारों में अरब और भारतीय पर्यटक सर्वाधिक नजर आते हैं । मार्केट में घुसने वाला पर्यटक कुछ समय तो भौंचक्का होकर पूरा मार्केट केवल घूमता है और शो-केस निहारता है । संकरी सड़कों पर, जहां केवल पैदल ही लोग चलते है, जगह-जगह सुस्ताने के लिए बैंचे लगी हुई हैं । मुझे नहीं लगता कि पर्यटक पहले दिन ही यहां कुछ खरीद लेता होगा । एक से दो पूरे दिन पहले तो केवल सर्वेक्षण और आंकलन में ही बीत जाते हैं । तब जाकर पर्यटक खरीदने का मूड बनाता है कि कहां से और क्या खरीदा जाए । मुझे नहीं लगता कि इस मार्केट में 2-5-10 लाख रूपये के कोई मायने है । दुबई आने वाला हर पर्यटक संभवतया गोल्ड खरीदी के लिए रूटीन से हटकर विशेष व्यवस्था करके आता है । वैसे खरीददारी के लिए ‘ओल्ड गोल्डसुख’ मार्केट ही सबसे बेहतर और जायज हे । ‘न्यू गोल्डसुख’ बाद में बसा हुवा नया बाजार है । यहां दुकानों की भव्यता जरूर पर शायद वो वेरायटियां नहीं जो ओल्ड गोल्डसुख में हैं । इस बाजार के प्रवेश पर ही लिखा है सिटी आॅफ गोल्ड । व्यक्ति चाह कर भी इस मार्केट से हिल नही पाता । हालांकि दुबई में देखने के और भी बहुत से सुंदर और प्राकृतिक स्थान है, पर ओल्ड गोल्डसुख की तो बात ही कुछ और है । किसी भी विदेशी स्थल से आप लौटें तो परिचित पूछते हैं कि यह देखा, वह देखा, क्या देखा ! दुबई होकर आने वाला चाहे जितने स्थानों का वर्णन कर डाले, परिचित कहते हैं- ओल्ड गोल्डसुख नही देखा, तो क्या देखा । वैसे पूरे दुबई में अन्य स्थानों पर, भी गोल्ड शाॅप है । मालों की एक बड़ी संख्या में सोने की दुकानें है । पर ओल्ड इज गोल्ड । इसकी अपनी ललक है, अपना आकर्षण है । आंखों को  बेसाख्ता सुकून मिलता है । खरीददारी आपकी अपनी श्रद्धा है, क्षमता है ।

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