Thursday 14 April 2016

सिंहस्थ के बाद शीत युद्ध में उबाल


डॉ. अरूण जैन
सिंहस्थ को लेकर किवदंतियों का दौर इन दिनों अब चर्चाओं में दिखाई देने लगा है तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन्होंने गैर कांग्रेसी सरकार के मुखिया होने के नाते लम्बे समय तक प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने का जो मिथक तोड़ा है अब भले ही इस मिथक को लेकर तमाम तरह की वाहवाही लूटी जा रही हो यही नहीं सिंहस्थ और उससे जुड़ी किवदंतियों ने भी अब जोर पकड़ लिया है, हालांकि साधु-संतों द्वारा शिवराज को इनसे कुछ राहत दिलाने के उद्देश्य से यह घोषणा भले ही की जा रही हो कि वह सिंहस्थ के बाद प्रदेश की राजनीति में पडऩे वाले असर के मिथक को तोड़कर भी एक इतिहास बनायेंगे लेकिन ऐसा राजनैतिक पर्यवेक्षकों को नजर नहीं आ रहा है और वह यह कहते नजर आ रहे हैं कि भले ही साधु-संत शिवराज को यह तसल्ली दे रहे हों कि सिंहस्थ के बाद वह पद पर काबिज रहेंगे लेकिन मोदी और शिवराज के बीच चल रहे शीत युद्ध को देखकर तो ऐसा नहीं लगता है कि सिंहस्थ को लेकर जो किवदंतियां चर्चित हैं वह बदलती नजर आएंगी, भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जो 2014 के लोकसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के कुछ नेताओं ने मोदी के स्थान पर उन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने की जो आस जगाई थी अब वह धीरे-धीरे लौ पकडऩे लगी है है हालांकि राजनीतिक फलक पर नरेन्द्र मोदी के द्वारा उन भाजपाई नेताओं को तो धीरे-धीरे हाशिये पर पहुंचा दिया इसके बाद भी शिवराज सिंह की वह इच्छा इन दिनों प्रबल होती दिखाई देने लगी है भाजपा से जुड़े सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि मोदी शिवराज के बीच सबकुछ सामान्य है लेकिन वह यह भी कहते नहीं थकते कि स्थितियां इस समय भिन्न दिखाई दे रही हैं और नरेन्द्र मोदी ने राज्य की तमाम केन्द्रीय योजनाओं पर राज्य में अपने स्तर पर मानिटरिंग कराने की योजना बनाकर शिवराज सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयास किया है तो वहीं शिवराज सिंह भी पिछले कुछ दिनों से तमाम अनुष्ठानों और टोटकों के साथ-साथ ज्योतिषियों की राय पर नये-नये टोटके और अनुष्ठानों को अंजाम देने में लगे हुए हैं उससे यह लगता है कि मोदी और शिवराज के बीच चल रहा शीतयुद्ध सिंहस्थ के बाद उसमें कुछ उबाल आएगी और इसकी भनक इन दिनों भाजपा की राजनीति में देखी जा रही है, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार शिवराज सिंह मोदी के खिलाफ कब शह और मात का खेल खेलेंगे इसके लिये वह उपयुक्त समय की प्रतीक्षा में हैं। क्योंकि वह अपने उन राजनैतिक आकाओं की सलाह पर सबकुछ नीति अनुसार करने में लगे हुए हैं, सूत्रों का तो यह भी दावा है कि मोदी मंत्रीमण्डल में भले ही सारे सदस्य टीम के मुखिया के होते हैं लेकिन उसमें भी शिवराज सिंह के करीब 14 से अधिक मंत्री मौजूद हैं जो समय आने पर कब क्या कर जाएं यह कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन धीरे-धीरे मुख्यमंत्री अपनी राजनीति बिसात अब मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में बिछाने की तैयारी में लगे हुए हैं। 

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