Friday 15 April 2016

मोदी सरकार का नया मंत्र- मेरा गाँव मेरा देश 

डॉ. अरूण जैन
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए पेश किया गया आम बजट जहाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक नई क्रांति लाने का प्रयास है वहीं शहरी गरीबों का भी ध्यान रख सरकार ने विपक्ष के सूट बूट की सरकार होने के आरोपों को कमतर करने का प्रयास किया है। बजट में अमीरों से थोड़ा और लेकर गरीब हाथों में देने का प्रस्ताव किया गया है। सरकार ने कृषि कल्याण टैक्स लगाकर अपनी किसान विरोधी छवि खत्म करने का भी प्रयास किया है क्योंकि पिछले वर्ष भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सरकार की जो किसान विरोधी छवि बनी थी उसका बड़ा राजनीतिक खामियाजा सत्तारुढ़ दल को भुगतना पड़ा था। पिछले बजट से यदि इस बजट की तुलना करें तो इस बार कोई भी नहीं कह सकता कि यह पूंजीपतियों के लिए या अमीरों को ध्यान में रख कर बनाया गया बजट है। वित्त मंत्री ने सर्वाधिक जोर राजस्व अर्जित करने और उसका आवंटन बुनियादी ढांचा के विकास पर ज्यादा से ज्यादा करने पर दिया है। आम बजट ने साफ संकेत दे दिया है कि सत्तारुढ़ पार्टी ने हालिया चुनावी हारों को गंभीरता से लिया है। पिछले बजट में स्मार्ट सिटी पर जोर देने वाली सरकार ने इस बार गांवों और किसानों पर ज्यादा ध्यान दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्तमान माहौल में जो बजट बनाया है उसे पूरी तरह संतुलित कहा जा सकता है। हालांकि मध्यम वर्ग और उद्योग जगत को बजट से जो उम्मीदें थीं वह सभी पूरी नहीं हो पायी हैं लेकिन सरकार ने विकास के इंजन को तेजी से आगे बढ़ाने पर निश्चित रूप से ध्यान दिया है। बजट प्रस्तावों को देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि वित्त मंत्री अंत्योदय मंत्र को लेकर आगे बढ़े हैं और समाज के निचले तबके की ज्यादा परवाह की है। अभी तक इस तबके की याद चुनावों के समय ही राजनीतिक दलों को आती रही है। अच्छा है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष में ही इस वर्ग की सुध ले ली। हालांकि सरकार सभी बजट प्रस्तावों को कितना अमल में ला पाती है यह अभी देखने वाली बात होगी। वित्त मंत्री ने रॉबिनहुड की तर्ज पर अमीरों से धन लेकर गरीबों में बांटने की जो योजना बनाई है उस पर अमल सही तरह से होते दिखना भी चाहिए। वित्त मंत्री ने करदाताओं के पैसों के सही इस्तेमाल पर भी जोर दिया है देखना होगा कि सरकार इसमें कितना कामयाब होती है। दरअसल सरकार समझ चुकी है कि जब तक कृषि और ग्रामीण क्षेत्र का भला नहीं होगा देश के लिए अच्छे दिन नहीं आएँगे। इसलिए कभी मनरेगा के प्रभाव पर सवाल उठाने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में इस योजना के लिए आवंटन 3,800 करोड़ रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। यदि पूरी राशि खर्च हो जाती है तो यह मनरेगा में अब तक सबसे बड़ा बजट खर्च होगा। साथ ही वित्त मंत्री ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दीर्घ कालिक लक्ष्य के साथ कृषि क्षेत्र के लिए करीब 36,000 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की है। सरकार ने उर्वरक सब्सिडी भी अब सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने की पहल की घोषणा की है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत से भी किसानों को लाभ होगा। अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव भी किया गया है। कृषि ऋण पर ब्याज छूट के लिए 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन और नयी फसल बीमा योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपए तथा दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन कर सरकार ने साफ किया है कि उसकी किसानों पर ज्यादा ध्यान देने की योजना है लेकिन यहाँ कुछ सवाल भी उठते हैं जैसे कि यदि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य है तो अब भी निम्न आय में जी रहा किसान क्या 2022 तक भी निम्न आय वाला ही बना रहेगा? 2022 तक तो महंगाई और भी बढ़ चुकी होगी ऐसे में किसान का भला मात्र दोगुनी आय से कैसे होगा? सरकार ने किसानों को ऋण सुलभ कराने का इंतजाम तो कर दिया है लेकिन उसे ऋण से बाहर आने का मौका मिलता तो ज्यादा अच्छा होता। शहरी मध्यम वर्ग को जरूर इस बजट से कुछ निराशा हुई होगी लेकिन सरकार का उसके बारे में यह मानना है कि यह वर्ग सबसिडी नहीं सुविधाएँ चाहता है और जोर इसी बात पर है कि उसे सभी जरूरी सुविधाएँ मुहैया करायी जाएं। हालांकि सरकार ने इस वर्ग को कुछ राहत प्रदान की है। पहली बार मकान खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के कर्ज पर 50,000 रुपये सालाना अतिरिक्त ब्याज छूट देने की घोषणा की गयी है। इस योजना में शर्त यह है कि मकान का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा छोटे करदाताओं को राहत देते हुए बजट में 5,00,000 रुपये तक सालाना आय वालों के लिये धारा 87 (ए) के तहत कर छूट सीमा 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। इस श्रेणी में दो करोड़ करदाता हैं जिन्हें कर देनदारी में 3,000 रुपये की राहत मिलेगी। जिनके पास अपना मकान नहीं है और उन्हें नियोक्ताओं से आवास भत्ता नहीं मिलता है उन्हें 60,000 रुपये का छूट मिलेगी जो फिलहाल 24,000 रुपये है। एक करोड़ रुपये से अधिक के व्यक्तिगत आयकर पर 12 प्रतिशत अधिभार को बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर साफ संकेत दिया गया है कि आने वाले समय में उच्च वर्ग को और त्याग करने के लिए तैयार रहना होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था जिस गंभीर संकट से गुजर रही है उसमें भारत का प्रदर्शन कमोबेश ठीकठाक रहा है। सरकार की मानें तो पिछली सरकार के अंतिम तीन वर्षों में विकास दर घटकर 6.3 प्रतिशत रह गई थी जबकि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर अब बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई है। पिछली सरकार के अंतिम तीन वर्षों के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संबंधी मुद्रास्फीति 9.4 प्रतिशत के स्तर पर थी जो कम होकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। किसी भी वित्त मंत्री की सफलता असफलता राजकोषीय घाटे को कम करने और राजस्व लक्ष्य अर्जित करने पर भी टिकी होती है। इस मोर्चे पर देखें तो राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 3.9 प्रतिशत अनुमानित है जिसे अगले वित्त वर्ष में कम कर 3.5 प्रतिशत पर लाया जाएगा। अगले वित्त वर्ष में कुल सरकारी खर्च 19.78 लाख करोड़ रुपये होगा। इसमें 5.50 लाख करोड़ रुपये योजना व्यय तथा अन्य 14.28 लाख करोड़ रुपये गैर-योजना व्यय में खर्च होंगे। चालू वित्त वर्ष में राजस्व घाटा बेहतर रहने का अनुमान है और यह जीडीपी का 2.5 प्रतिशत रह सकता है जबकि बजटीय लक्ष्य 2.8 प्रतिशत था। सरकार ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ शहरी क्षेत्र का भी ध्यान रखा है तथा कस्बों को शहरों में परिवर्तित करने की ओर भी ध्यान दिया है। बजट में आर्थिक वृद्धि की गति तेज करने के लिये बुनियादी ढांचे क्षेत्र पर काफी जोर दिया गया है। रेलवे और सड़क परियोजनाओं सहित विभिन्न ढांचागत योजनाओं के लिये 2.21 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं। बुनियादी ढांचे के लिए एक नयी क्रेडिट रेटिंग प्रणाली विकसित करने का भी प्रस्ताव किया गया है। सरकार ने गरीब परिवारों की महिला सदस्यों के नाम रसोई गैस कनेक्शन मुहैया कराने और इसमें दो साल के भीतर पांच करोड़ बीपीएल परिवारों को शामिल करने की महत्वाकांक्षी योजना भी बनाई है। इसके अलावा गरीबों का ध्यान रखते हुए देश में सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस सेवाएँ और कम कीमत पर जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने के लिए देश भर में 3,000 जन औषधि स्टोर खोलने की भी घोषणा की है। इसके अलावा सभी परिवारों को बीमा के दायरे में लाने की योजना भी पेश की गयी है। शहरों में बढ़ते प्रदूषण और यातायात की स्थिति पर गौर करते हुए गाडिय़ों पर उपकर लगा दिया गया है तथा बीडी को छोड़ सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया गया है। चांदी को छोड़ सभी आभूषणों पर शुल्क बढ़ा दिया गया है। सरकार ने लगभग 26 सौ करोड़ रुपए का नया टैक्स जुटाने का भी लक्ष्य रखा है जिसे अर्जित कर पाना असंभव नहीं तो मुश्किल तो है ही। अभी सरकार की आलोचना इस आरोप के साथ हो रही है कि उसने यह 2022 का बजट बना दिया है। वित्त मंत्री ने जीडीपी और महंगाई दर के जो आंकड़े पेश किये हैं उसके आधार पर देखें तो अर्थव्यवस्था का विकास तेज हुआ है, विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है और महंगाई कम हुई है लेकिन यदि इन आंकड़ों से परे हटकर हकीकत के धरातल पर देखें तो महंगाई ने हर वर्ग को परेशान किया है और अच्छे दिन लाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है। बहरहाल, बजट में कुछ प्रमुख खामियाँ रह गयी हैं जैसे कि ग्रामीण महिलाओं के लिए एलपीजी कनेक्शन की व्यवस्था की गयी है लेकिन शहरी महिलाओं के खाते में कुछ नहीं आया है। महिल सुरक्षा पर भी कोई विशेष ध्यान बजट में नहीं दिया गया है। खेलों का बजट जिस तरह नाममात्र के लिए बढ़ाया गया है उससे लगता है क्रिकेट का राज बना रहेगा। किसानों के लिए कर्ज की व्यवस्था कर दी गयी लेकिन कर्ज से निजात दिलाने की ज्यादा कोशिश नहीं की गयी।

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