Thursday 14 April 2016

यह लड़का देश को नई दिशा प्रदान करेगा


डॉ. अरूण जैन
मध्यप्रदेश के सबसे कामयाब मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर उनसे जुड़ीं रोचक बातें    मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 5 मार्च को अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं. 5 मार्च, 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में जन्मे शिवराज मुख्यमंत्री रहने के पहले पांच बार विदिशा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जा चुके हैं. सीएम शिवराज के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में भाजपा की पहली सरकार है, जो इतने लंबे समय तक सत्ता में रही है. शिवराज के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया का आशीर्वाद अहम माना जाता है. इसी से जुड़ा है रोचक किस्सा वर्ष 1988 में जब शिवराज पहली बार युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार के शासन और जुल्मों के विरोध में एक मशाल जुलूस का आयोजन किया गया.          उन्होंने राजमाता सिंधिया से आग्रह कर इस जुलूस के नेतृत्व करने की बात कही, लेकिन तब प्रदेश में भाजपा के तत्कालीन नेतृत्व के सामे दो बड़ी चुनौतियां सामने आ गईं कि क्या राजमाता सिंधिया, नाना जी देशमुख और कुशाभाऊ ठाकरे जैसे दिग्गज कद के नेताओं के हिसाब से समर्थन जुट पाएगा. उस बात को चैलेंज मानकर शिवराज ने ग्रामीण क्षेत्रों से 40000 किसानों के आने की बात कहकर पूरे पार्टी नेतृत्व को सहमा दिया, परंतु जब 7 अक्टूबर 1988 को भोपाल में जुलूस निकला तब भोपाल आने वाली सारी सड़कें ट्रैक्टर, ट्रक, जीप और बैलगाडिय़ों से अटी पड़ी थीं. लोगों की संख्या 40000 से कहीं ज्यादा थी और दो दिन तक मशाल जुलुस में आए ग्रामीणों का भोपाल से लौटना बदस्तूर जारी रहा. शिवराज के इसी नेतृत्व से खुश होकर 7 अक्टूबर 1988 के दिन ही राजमाता सिंधिया ने शिवराज के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया और ऐलान किया कि यह लड़का राजनीति में बहुत आगे जाकर देश को नई दिशा प्रदान करेगा. प्रदेश के मुखिया बनने का सफर शिवराज ने छात्र राजनीति से शुरू किया था. उस दौरान देश में इन्दिरा और कांग्रेस के विरुद्ध एक बड़ी लहर देखी जा रही थी, 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले शिवराज कदाचित सबसे कम उम्र के स्वयंसेवक रहे होंगे. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा को शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक गुरू माना जाता है. जिनसे हर मौके पर वे आशीर्वाद लेने जाते हैं. साल 2003 के चुनावों में उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. पार्टी से इस्तीफे के बाद बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन 2005 में तत्कालीन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान को उसी साल 29 नवंबर मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. एक बार फिर तेहरवीं विधानसभा के लिए चौहान को 10 दिसंबर 2008 को भाजपा के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना.           शिवराज को 2008 में दूसरी बार भोपाल के जंबूरी मैदान में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. इसके बाद 2013 में तीसरी बार शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी.          अब शिवराज के मुख्यमंत्रित्व काल का 11वां साल चल रहा है. अब वे प्रदेश के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री के दायित्व का निर्वहन किया. इससे पहले कांग्रेस के दिग्विजय सिंह 10 साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे.  हालांकि, शिवराज का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. मुख्यमंत्रित्व काल की शुरूआत में उन पर डंपर खरीदी के आरोप लगे और पिछले ही दिनों व्यापमं घोटाले ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी थीं. फिलहाल, व्यापमं की सीबीआई जांच चल रही है.

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