TOI रेटिंग में मोदी सरकार को 77%, पहले साल डिस्टिंक्शन से पास
डॉ. अरूण जैननरेंद्र मोदी की सरकार को एक साल होने पर 100 में से 77.5 अंकों के साथ पास किया है। इस रेटिंग का आधार मोदी सरकार का एक साल का कामकाज है, जिसे 10-10 नंबरों के 10 हिस्सों में बांटा गया है। जानिए, किस क्षेत्र में कितने नंबर मिले हैं मोदी सरकार को...रेटिंग- 9 नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों से पहले मजबूत नेतृत्व देने का वादा किया था और इस बात से उनके विरोधी भी इनकार नहीं करते कि उन्होंने शासन में अपनी छाप छोड़ी है। बल्कि उन पर सत्ता के केंद्रीकरण के आरोप भी लगते हैं। सरकारी बाबुओं के समय पर दफ्तर पहुंचने से लेकर मंत्रियों की रिपोर्ट जांचने के मामले में यह पिछली सरकार के मुकाबले सख्त साबित हुई है। हालांकि सीवीसी और सीआईसी की नियुक्ति में देरी होना सरकार का नकारात्मक पहलू है। 2- विकास के रास्ते पर अर्थव्यवस्था रेटिंग- 7.5 उत्तराधिकार में मिली धीमी विकास दर और अनिश्चितता के चलते निवेशक के डिगे हुए भरोसे को बदलने में मोदी सरकार ने सफलता पाई है। पिछले एक साले के मुकाबले में देखें तो स्थिति में सुधार ही हुआ है। भूमि अधिग्रहण विधेयक और श्रम कानूनों में बदलाव को भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश माना जा रहा है। इंश्योरेंस बिल और माइनिंग बिल इसी का एक हिस्सा हैं। स्नष्ठढ्ढ पॉलिसी में बदलाव भी मेक इन इंडिया के नारे को जमीन पर लाने की कोशिश है। हालांकि, घरेलू निवेश की चिंताजनक स्थिति इसका असफल पहलू हो सकता है, जिसका असर रोजगार और मेक इन इंडिया पर भी पड़ेगा। 3- संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र में जान फूंकना रेटिंग- 5.5 कृषि ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सरकार अपने वादों को पूरा करने में असफल रही, हालांकि खराब मॉनसून का भी इसमें हाथ रहा। अब 33 फीसदी फसल खराब होने पर आपदा प्रभावित किसान मुआवजा ले सकते हैं, यह पहले 50 फीसदी था। सॉइल हेल्थ कार्ड लॉन्च हो गया है। अगले तीन साल में 13 करोड़ किसानों को इस कार्ड के जरिए उनकी मिट्टी की कमजोरी और ताकत बताने का लक्ष्य है। 4- हेल्थ-एजुकेशन पर ध्यान रेटिंग- 6.5 सरकार को हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में बजट कम करने पर आलोचना का शिकार होना पड़ा है। इसके अलावा मनरेगा जैसी योजनाओं का बजट कम करने पर भी सरकार आलोचना के केंद्र में रही है। डीयू में चार साल के कोर्स को खत्म करने के अलावा सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वीसी की नियुक्ति के लिए नई नीति और नई शिक्षा नीति के लिए हर गांव से सुझाव लिए हैं। हालांकि, केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन या संस्कृत के मामले पर सरकार विवादों में भी फंसी। 5- विदेश नीति और भारत की छवि रेटिंग- 9 सार्क नेताओं को अपने शपथ ग्रहण में बुलाने से लेकर मोदी ने भूटान, नेपाल और श्री लंका के दौरे से पड़ोसियों में अपनी और देश की अच्छी छवि बनाई। इसके अलावा मोदी के फ्रांस, जापान, चीन और अमेरिका जैसे विकसित देशों के दौरों से भी दूरगामी परिणाम तलाशने की कोशिश की गई है। यमन और नेपाल में राहत और बचाव कार्य से भी देश की छवि को नया स्वरूप मिला है। हालांकि, आलोचक पाकिस्तान के प्रति स्पष्ट रणनीति न होने का मुद्दा उठाते रहते हैं। 6- रक्षा क्षेत्र का पुनरुत्थान रेटिंग- 8 यूपीए शासनकाल में रणनीतियां बनाने में विदेश मंत्रालय की सबसे कम भागीदारी थी। ऐसा शायद विवादों से बचने के लिए किया गया था। अब रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण के प्रॉजेक्ट्स हों या फ्रांस से अटका हुआ रफाल विमानों का सौदा इसने भारत के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने का काम किया है। हालांकि, वन रैंक-वन पेंशन की धीमी गति, नई रक्षा खरीद नीति में देरी जैसे मामलों में सरकार पीछे रह गई है। 7- भ्रष्टाचार और काला धन रेटिंग- 9एक साल के शासनकाल में व्यापारियों और उद्योगपतियों को यह कहते सुना जा रहा है कि इस सरकार ने मंत्रियों से नजदीकी गांठने की संस्कृति को खत्म कर दिया है। इस दौरान कोई घोटाला न होने से भी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी छवि मजबूत हुई है। ब्लैक मनी के लिए स्ढ्ढञ्ज तो गठित हो गई, लेकिन अभी तक कोई ब्लैक मनी हासिल नहीं की जा सकी है। 8- आधारभूत सुविधाओं में बढा़वा रेटिंग- 7सरकार ने रेलवे पर पांच सालों में 1.5 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रेलवे को ट्रैक पर लाने का वादा किया है। रोज 30 किमी सड़कें बनाने का लक्ष्य सरकार अकेले हासिल नहीं कर सकती और इसके लिए निजी निवेशकों की भी जरूरत पड़ेगी। 100 स्मार्ट सिटी का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र की बुरी हालत के बावजूद 2019-20 तक 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। 9- सामाजिक सुरक्षा पर जोर रेटिंग- 8 सरकार के सबसे सफल कदम जन-धन योजना ने हर घर का एक बैंक खाता होने जैसी अहम चीज की शुरुआत की है। इन खातों में 15 हजार करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं। इसके अलावा जीवन और दुर्घटना बीमा योजनाओं की शुरुआत भी सकारात्मक कदम है। 10- राज्यों के साथ बेहतर संबंध रेटिंग- 8 मोदी ने कहा था कि वह विकास में राज्यों को भी भागीदार बनाएंगे। इसकी शुरुआत योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग की शुरुआत से हो चुकी है। केंद्र ने राज्यों को संकट के समय, फसल खराब होने पर, बाढ़ या भूकंप आने पर तुरंत मदद की है। इससे उन्हें नीतीश कुमार जैसे विरोधी से भी प्रशंसा मिली है।
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