Tuesday 27 September 2016

हिलेरी के लिए शुरूआत से जीत की राह आसान हुई


(लॉस एंजेलिस से अरूण जैन )
सितम्बर के अंतिम सप्ताह में शुरू हुई सार्वजनिक बहस के साथ ही डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की राष्ट्रपति पद की दौड़ की राह आसान दिखाई देने लगी है। बहस के साथ ही सीएनएन और ओआरसी द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के दौरान 62 प्रतिशत मतदाताओं ने हिलेरी क्लिंटन को अगले राष्ट्रपति के रूप में देखने की इच्छा जाहिर की है। वहीं रिपब्लिक उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प आश्यर्चजनक रूप से पिछड़ गए। उन्हे केवल 26 प्रतिशत मतदाताओं ने पसंद किया। 11 प्रतिशत मतदाता किसी के भी पक्ष में नही गए। 
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव 8 नवम्बर को होना है, जिसमें मात्र पांच सप्ताह का समय शेष रह गया है। इस बार के राष्ट्रपति चुनाव का एक आश्चर्य जनक पहलु यह है कि ऐन बहस की शुरूआत के दिन ही मीडिया खुलकर ट्रम्प के विरोध में खड़ा हो गया। दो प्रभावशाली समाचारपत्रों द वाशिंगटन पोस्ट और द न्यूयार्क टाइम्स ने इस दिन सुबह से ट्रम्प के विरूद्ध संपादकीय लिखते हुए हिलेरी क्लिंटन की जोरदार तरफदारी की। अर्थव्यवस्था, करों में कटौती, नस्लवाद, आईएस जैसे मुद्दों पर ट्रम्प की काफी खिंचाई हुई। इन समाचारपत्रों ने यहां तक लिख डाला कि ट्रम्प को किसी भी सूरत में राष्ट्रपति नही चुना जाना चाहिए। इसके समर्थन में अखबारों ने तर्क भी दिए। दोनों उम्मीदवारों की पहली बहस के बाद का सर्वेक्षण भी चौंकानेवाला है। जबकि पिछले माह ही एनबीसी और वाल स्ट्रीट जर्नल के एक सर्वेक्षण में हिलेरी को 8 प्रतिशत बढ़त बताई गई थी। एबीसी न्यूज और वाशिंगटन पोस्ट के सर्वे में इसके पहले हिलेरी को 46 प्रतिशत मतदाताओं और ट्रम्प को 44 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन बताया गया था। कहा गया कि ट्रम्प के समर्थक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हैं। इसके विपरीत हिलेरी को शिक्षित वर्ग का साथ मिला है। श्वेत महिलाओं में हिलेरी को 25 प्रतिशत बढ़त मिली है। 59 प्रतिशत अमेरिकी ट्रम्प को नकारात्मक ढंग से देखते हैं।
चुनावी बहस का एक और उल्लेखनीय पहलू यह है कि 90 मिनिट की इस बहस को 10 करोड़ लोगों ने विभिन्न माध्यमों से प्रत्यक्ष देखा। इसके पूर्व सन् 1980 में जिमी कार्टर और रोनाल्ड रीगन की बहस को 8 करोड़ लोगों ने देखा था। यह भी अपने आप में रिकार्ड है और एक दिशा विशेष की ओर संकेत करता है।

Monday 26 September 2016

राष्ट्रपति चुनाव के बाद 

भारत-अमेरिका के सम्बंधों को लेकर चिंतित वासीभारतीय…!


बोस्टन से अरूण जैन
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार चरम पर है, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक दोनों दलों के उम्मीदवारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, यद्यपित मतदान में अभी एक महीने से भी अधिक का समय है और दोनांे ही दलों के उम्मीदवार ट्रम्प और हिलैरी क्लिंटन के बीच फिलहाल कांटे की टक्कर है, किन्तु दोनों ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को लेकर अमेरिका में निवासरत प्रवासी भारतीय काफी चिंतित और सहमा हुआ है, वह फिलहाल यह बताने की स्थिति में भी नहीं है कि भारत के लिए कौन सा उम्मीदवार उपयोगी व सहयोगी होगा ।
आम प्रवासी भारतीय की इस चिंता का मुख्य कारण यह है कि जिस तरह पिछले दो सालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच जो दोस्ताना रिश्ते कायम हुए और राष्ट्रपति ओबामा का भारत व मोदी के प्रति स्नेह व सौहार्द्र का सम्बंध रहा और जिसके कारण हम पूरी दुनिया के साथ चीन व पाक के लिये भय व चिंता का कारण बने, क्या अब वैसे रिश्ते अमेरिका को भावी राष्ट्रपति के साथ बरकरार रह पाएगें ? क्योंकि अमेरिका में रहने वाला आम भारतीय राष्ट्रपति पद के सशक्त दावेदार ट्रम्प की उस घोषणा से चिंतित है, जिसमें उन्ही के अमेरिकी युवाओं की बेरोजगारी का मुख्य कारण भारती युवाओं को बताया था और आरोप लगाया था कि भारत के युवा तकनीकी छात्र अमेरिका में आकर अमेरिकी युवाओं की दाल-रोटी छीन रहे है और यदि वे (ट्रम्प) राष्ट्रपति चुनलिए गए तो सबसे पहला काम यहां काम कर रहे भारतीय युवाओं को अमेरिका से बाहर निकालने का करेगें।
अब चाहे रिपब्लिकन उम्मीदवार श्री ट्रम्प ने अमेरिकी युवाओं को रिझाने और हो उनका वोट प्राप्त करने के लिए यह घोषणा की हो, किन्तु इस घोषणा से अमेरिका में कार्यरत हर युवा उद्यमी के दिल-दिमाग में भय की भावना तो जाग्रत हो ही गई। इसके अलावा ट्रम्प ने अपनी घोषणा को आगे बढ़ाते हुए खुद के पेरों पर कुल्हाड़ी मारने की तर्ज पर यह भी कहा था कि वे राष्ट्रपति बनने के बाद मुसलमानों को भी अमेरिका में नहीं रहने देगें, फिर वे मुसलमान चाहे किसी भी देश के क्यों न हों ? इस घोषणा के कारण अमेरिका का हर आम मुस्लिम भी डरा-सहमा है, यद्यपि अमेरिका वासियों ने ट्रम्प की इस घोषणओं को चुनावी स्टंट ही माना, किन्तु चूंकि ट्रम्प और हिलैरी के बीच बराबरी के कांटे की लड़ाई बनती जा रही है, इसलिए ट्रम्प को लेकर आम भारतीय व मुसलमान चिंतित तो है।
यद्यपित ओबामा की डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलैरी क्लिंटन के बारे में भी यह माना जाता रहा है कि वे भारत से ज्यादा पाकिस्तान समर्थक रही है। किन्तु चूंकि उन्होने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारत या पाक के बारे में कोई विवादास्पद टिप्पणी नहीं की इसलिए अमेरिका में निवास करने वाला हर भारतीय यह चाहता है कि हिलैरी ही अमेरिका की अगली राष्ट्रपति बनें, क्योंकि वही अपनी पार्टीं के निवृत्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा के देशहितेषी कार्यों व सिद्घांतों को आगे बढ़ा सकती है।
इस प्रकार कुल मिलाकर फिलहाल यह कहना तो मुश्किल है कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, किन्तु हां, उम्मीदवारों को लेकर फायदे-नुक्सान के कयास जरूर लगाऐ जाने लगे है।

Sunday 25 September 2016

हिलेरी ही होगी अगली अमेरिकी राष्ट्रपति !


(नियाग्रा सिटी से अरूण जैन)
विश्व के एकमात्र जीवित कापालिक महाकाल भैरवानंद सरस्वती ने दावा किया है कि नवम्बर में होने वाले चुनाव में हिलेरी क्लिंटन ही अमेरिका की नई राष्ट्रपति चुनी जाएंगी। उन्होने कहा कि श्मशान साधना के दौरान उन्हे इस बात के स्पष्ट संकेत प्राप्त हुए हैं, जो कभी असत्य नही होते।
कापालिक महाकाल के नाम से प्रख्यात बाबा भारत के जाने-माने साधना स्थल कामाख्या देवी (असम) में लगातार 16 वर्षों तक सतत, दिगम्बर अवस्था में श्मशान साधना कर चुके हैं। पंजाब में सन् 1940 में जन्मे कापालिक बाबा किशोर अवस्था में दिल्ली स्थानांतरित हो गए थे। इन्दौर से एलएल.एम और सागर से एम.एस. डब्लू. की डिग्री प्राप्त कर बाबा कोल इंडिया लिमिटेड में निदेशक बने। परन्तु उनका विरक्त स्वभाव और जीवन को गइराई से समझने की लालसा उन्हे तंत्र साधना के गढ़ कामाख्या ले गई। वहीं पर श्मशान में उनकी मुलाकात तंत्र साधक योगानंद महाराज से हुई, जो बाद में उनके गुरू हो गए। वहीं पर 16 वर्ष रहकर कापालिक बाबा ने कपाल साधना की और जीवन के कई गूढ़ रहस्यों का ज्ञान पाया। उनके गुरू ने ही उनका नामकरण ‘कापालिक महाकाल’ रखा। अपने नाम के अनुरूप बाबा समस्त पेय और भोजन मानव, खोपड़ी में ही करते हैं, जिसे ‘कपाल’ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कपाल में खाद्य-पेय पदार्थ ग्रहण करने से दैवीय शक्तियों को स्वतः भोग लगता है और दैवीय शक्तियां उपयोग कर्ता को स्वतः प्राप्त होती हैं। कापालिक बाबा कुछ वर्षों दिल्ली और हरिद्वार में रहने के बाद इन दिनों महाकाल की नगरी उज्जैन में साधनारत हैं। पिछले करीब एक वर्ष से वे अपना ज्यादातर समय चक्रतीर्थ श्मशान में शव साधना में बिताते हैं । बाबा ने बताया कि शव साधना के दौरान ही उन्हे भविष्य की कई घटनाओं के संकेत मिलते हैं। बराक ओबामा के चुनाव लड़ने के करीब डेढ़ वर्ष पूर्व उन्हें संकेत मिले थे कि वही अगले राष्ट्रपति होंगे। तभी बाबा ने उनकी भविष्यवाणी कर दी थी। इसी प्रकार अटल बिहारी वाजपेयी के दो बार प्रधानमंत्री बनने और उनके दोनों कार्यक्राल के संकेत भी मिले थे। डॉ. शंकरदयाल शर्मा के भारत के राष्ट्रपति बनने का आभास भी उन्हे 6 माह पूर्व हुवा था। बाबा ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद की ताजा घटनाओं के बाद परिस्थितियां कैसी भी निर्मित हों पर श्मशान साधना के दौरान साफ-साफ संकेत मिले हैं कि हिलेरी क्लिंटन ही अमेरिका की अगली राष्ट्रपति बनेगी। विश्व की राजनैतिक स्थितियां भी इसी ओर संकेत दे रही हैं। इस समय पूरे विश्व की निगाहें अमेरिका पर लगी हुई हैं। क्योंकि चुनाव के बाद कई देशों में राजनीतिक उथल-पुथल और महत्वपूर्ण परिवर्तन संभव हैं।

Friday 23 September 2016

सर्व शक्तिमान देश अमेरिका में भय की भावना क्यों...?

(वाशिंगटन डी.सी.से अरूण जैन)
पूरे विश्व में एक सर्वशक्तिमान देश माने जाने वाले अमेरिका में इन दिनों अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना असर दिखाने वाले आतंकवाद और आईएस.आई एस की धमकियों के कारण भय की भावना व्याप्त हो गई है, जो न्यूयार्क और वाशिंगटन जैसे महानगरों के चौराहों और दीवारों पर लगे बैनरों व पोस्टरों के माध्यम से उजागर हो रही है। अमेरिका के इन दोनों महानगरों की दीवारों और चौराहों पर लगे पोस्टरों व बैनरों पर लिखा है-‘‘वी आर नॉट कॉबर्ड, वी केन यूस गन टू सेव अॅवर फ्रीडम (हम डरपोक नहीं है, हम अपनी आजादी की रक्षा के लिए बंदूक भी उठा सकते है) एक अन्य ‘स्लोगन’ में लिखा है- वी डोंट वांट टू बिकम सिओल, वी सेव अॅवर फ्रीडम’’ (हम सिओल नही बनना चाहते, हम हमारी आजादी की रक्षा करेंगे)
अमेरिका के प्रमुख शहरों की दीवारों व चौराहों पर लगे इन पोस्टरों व बैनरों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि अमेरिका अपनी आजादी की आड़ में अपना भय छुपाना चाहता है। एक ओर जहां संयुक्त राष्ट्रसंघ के भयं से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपरोक्ष रूप से भारत का साथ देने के नाम पर दबे शब्दों में अमेरिका की धरती पर उसकी आलोचना करते हैं वहीं अमेरिका अपनी एक प्रमुख रिपोर्ट के माध्यम से पाक को दुनिया का सबसे बड़ा और पांचवा खुराफाती आतंकी देश बता रहा है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ के जिस मंच से पाक प्रधानमंत्री ने कश्मीर का हल निकले बगैर एशिया में ‘शांति स्थापित नहीं होने की धमकी दी, वहीं उसी मंच से अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम भाषण में स्पष्ट कह दिया कि यदि कुछ लोग (देश) ऐसा सोचते है कि सुनहरा भविष्य सिर्फ ‘सशक्त’ का ही साथ देता है, तो यह मैं नहीं मानता, सुनहरे भविष्य के दिन दिखने के लिए सशक्त होना जरूरी नहीं, इसलिए अपने आपको हर तरीके से सक्षम बनाने या समझने की यह स्पर्धा खत्म होनी चाहिए और हर एक को अपने दायरे में रहकर अपनी समृद्धि के बारे में सोचना चाहिए। राष्ट्रपति ओबामा के विदाई संदेश का इशारा किस देश की ओर था, यह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है, उन्होने बिना नाम लिए चीन-पाकिस्तान के गठजोड़ और सर्वशक्तिमान बनने की स्पर्धा मंे शामिल होने का यह संकेत दिया है।
यह तो हुई अमेरिका में व्याप्त आंतरिक भय और कुछ ही दिनों के मेहमान अमेरिकी राष्टपति के इशारे की बात। अब यदि हम यहां बन रहे माहोल की बात करें, तो एक ओर जहां यहां अगले माह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की गहमा-गहमी है, इलेक्ट्रानिक मीडिया इनके प्रचार का प्रमुख साधन बना हुआ है, वहीं इसी दौरान पिछले सप्ताह न्यूयार्क शहर में तीन जगह हुए बम विस्फोटो ने भी चुनावी माहोल को और अधिक डरावना बना दिया है। राजनीतिक तौर पर यह आशंका की जाने लगी है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ऐसे बम धमाके कही चुनाव माहौल को न बिगाड़ दें, वहीं राष्ट्रपति पद के दोनों प्रमुख उम्मीदवारों, ट्रम्प और हिलैरी क्लिटन की सुरक्षा भी काफी बढ़ा दी गई है, जिसका असर उनके अपने जनसम्पर्क पर पड़ा है।
इस तरह कुल मिलाकर अमेरिका में धीरे-धीरे एक अजीब तरह का माहौल बनता जा रहा है, और इस माहौल से निपटने का हल किसी के पास भी नही दिखाई दे रहा है।

Thursday 22 September 2016

पाकिस्तान दुनिया का 5वॉं खुराफाती देश: अमेरिका रिपोर्ट



(अरूण जैन)

न्यूयार्क, 23 सितम्बर/आतंकवाद को बढ़ावा और प्रक्षय देने के मामले में पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खुराफाती देश करार देते हुए उसे विश्व में पांचवा खतरनाक देश करार दिया गया है। यह खुलासा अमेरिकी इंटेलीजेंस थिंक टैंक ‘इंटेल सेन्टर’ ने अपनी ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट में किया है।
पिछले 10 माह में पाकिस्तान 10 वें स्थान से पांचवे स्थान पर पहुंच गया है। यह रिपोर्ट 18 सितम्बर तक किए गए अध्ययन के बाद इंटेल सेंटर ने ‘कंट्री थ्रेट इंडेक्स (सीटी आई) के बाद जारी की है। इसे विश्व के विभिन्न देशों में चल रही आतंकवादी और विद्रोही गतिविधियों के आंकलन के आधार पर तैयार किया गया है। सेन्टर इन गतिविधियों में हुई मौतों और घायलों की संख्या के आधार पर आंकलन करता है। इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। क्योंकि इससे साफ पता चलता है कि पाकिस्तान को लेकर भारत ही नही दुनिया के देशों के बीच क्या धारणा है।
इधर चीन ने पाकिस्तानी मीडिया की उन रिपोर्टो को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें काश्मीर पर चीन के पीएम के समर्थन की बात कही गई थी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने स्पष्ट किया कि न्यूयार्क में प्रधानमंत्री ली केकियांग 21 सितम्बर को पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मिले जरूर थे। अंतर्राष्ट्रीय और क्षैत्रीय मुद्दों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर भी बातचीत हुई। पर हमारा मानना है कि काश्मीर मुद्दे का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी चर्चा से ही निकलेगा।
यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र में बोलते हुए पाक पीएम नवाज शरीफ ने फिर से काश्मीर मुद्दा उठाते हुए जनमत संग्रह कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि हमारा देश आतंकवाद का सबसे पीडि़त देश है। हमारे हजारों सैनिक आतंकी हमलों में मारे जा चुके हैं। नवाज ने दावा किया कि आतंक विरोधी अभियान में हम सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ शांति चाहते हैं। भारत के कड़े रूख से घबराए नवाज ने खुद के परमाणु साधन संपन्न होने की धौंस भी दी। बुरहान वानी का जिक्र करते हुए नवाज ने कहा कि वह काश्मीरी युवा नेता था, उसका कत्ल हुवा है। नवाज ने काश्मीर हिंसा की जांच की मांग करते हुए जनमत संग्रह कराने की बात दुहराई/उन्होंने कहा कि काश्मीर मुद्दा सुलझेगा तभी शांति आएगी। उन्होंने भारत पर असहयोगी रवैये का आरोप लगाया।

Monday 12 September 2016

चीन एयरलाइन भारतीयों को परोस रही ‘बीफ’ ?



केलिफोर्निया जाते विमान से (अरूण जैन) 12 सितम्बर । कितनी अजीब बात है ? चीन की एयरलाइन भारत से अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने संचालित करती है, पर भारत से जाने वाले यात्रियों को यह एयरलाइन खाने में ‘बीफ’ और ‘मछली’ देती है, इसके अलावा कुछ नही ?
ब्लू आइज़ न्यूज के इस प्रतिनिधि को दिल्ली से ग्वांगजू होकर यूएसए जाने का मौका मिला। चीन, यहां से चाइना सदर्न उड़ान संचालित करता है। इस उड़ान पर चाय नही दी जाती बल्कि कोल्ड ड्रिंक और बीयर दी जाती है। इसी प्रकार खाने में सिर्फ मांसाहारी भोजन परोसा जाता है यात्रियों को। उसमें भी ‘बीफ’ और ‘मछली’ बस! बाकी कुछ भी नही दिया जाता । शाकाहारी भोजन तो इस एयरलाइन्स पर है ही नही। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय बड़ी संख्या में इस एयरलाइन से अमेरिका जाते हैं। जो लोग शाकाहारी हैं वे भूखे रहकर ही यात्रा करने पर विवश है। क्योंकि यात्रा के दौरान और कोई विकल्प है ही नही। अब यदि मांसाहारी खाना है तो फिर ‘बीफ’ खाना ही होगा। अब बताइए चीन, भारतीयों को जबरन ‘बीफ’ खिलाने पर आमादा है, इस बात से कौन इंकार करेगा ? क्या चाइना एयरलाइन की ड्यूटी नही बनती कि जब बड़ी संख्या में भारतीय यात्री उनके माध्यम से यात्रा करते हैं तो उनके लिए शाकाहारी भोजन की व्यवस्था भी रखे ? इस दिशा में भारत सरकार कोई पहल करेगी क्या ? कम से कम मैं तो नही बता सकता। शायद भारत सरकार या उनके प्रतिनिधि कोई स्पष्टीकरण देकर सकारात्मक कदम उठा सकते है।
यह कह पाना मुश्किल है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार बार की अमेरिका यात्रा में क्या खाया ? यदि वे एक बार चाईना सदर्न एयरलाइन से सामान्य यात्री की तरह जाएं तो शायद ये कटु अनुभव कर पाएं।

Thursday 1 September 2016

दूसरों के पैसों पर ऐश
शिवराजसिंह चौहान से सीखो


अरूण जैन
नई दिल्ली, 1 सितम्बर। दूसरों के पैसों पर कैसे ऐश किया जाता है यह कोई मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से सीखे ? ये माननीय जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से इनकी पिकनिकनुमा सरकारी विदेश यात्राएं बराबर जारी हैं। दावा किए गए करोड़ों रूपए के करारों के बावजूद इनमें से 10 प्रतिशत का भी भौतिक क्रियान्वयन प्रदेश में नहीं हुवा है। अभी भी इनका अमेरिका दौरा जारी है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री सचिवालय ने एक लिखित प्रतिउत्तर में कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का कार्यालय उनकी विदेश यात्राओं का कोई रिकार्ड नही रखता।
नियमानुसार देश के किसी भी हिस्से में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की नैतिक जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस जिम्मेदारी को बखूबी निभा भी रहे हैं। वैसे प्रधानमंत्री ने किसी भी बहाने शौकिया विदेश यात्रा करने वाले मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों पर लगाम कसी है। ऐसे किसी भी मंत्री का विदेश यात्रा प्रस्ताव पहले पीएमओ जाएगा। उनके संतुष्ट होने और अनुमति देने पर ही संबद्ध मंत्री विदेश जा सकेगा। संतुष्टि के लिए पीएमओं ने मंत्री के लिए व्यवहारिक प्रेजेंटेशन देने का प्रावधान भी रखा है। ऐसे में मुख्यमंत्री श्विराजसिंह चौहान को लगातार विदेश यात्रा की अनुमति किस आधार पर दी जा रही है, यही समझ से परे है।
शिवराजसिंह चौहान ने 29 नवम्बर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। एक वर्ष भी मुश्किल से बीता और माननीय शिवराजजी ने विदेश की दौड़ शुरू कर दी। उनकी पहली विदेश यात्रा दिसम्बर 2006 में सिंगापुर की हुई। यहां तीन करारनामेे होना बताए गए। जनवरी 2007 में श्रीमान फिर इजराइल उड़ लिए। कृषि, कम पानी में सिचांई, डेयरी के करारनामे यहां भी बताए गए। भाग्य देखिए दूसरी बार दिसम्बर 2008 में फिर मुख्यमंत्री बन गए। तीसरी बार भी मुख्यमंत्री बन गए। विदेश यात्राएं भी चलती रही क्योंकि चस्का जो लग गया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से तो शिवराज जी की विदेश यात्राएं एक और माने में उल्लेखनीय हैं। जहां भी प्रधानमंत्री गए, तुरन्त बाद शिवराज भी चले गए। चीन, अमेरिका, यूरोप, श्रीलंका कुछ भी नही छोड़ा। शिवराज की चीन यात्रा तो उस समय हुई जब इस देश ने भारत का नीतिगत विरोध किया था। इस दौरे पर प्रश्न भी खड़े हुए थे। अभी ये श्रीमंत अमेरिका में सपत्नीक पिकनिक मना रहे हैं। हालांकि उद्योगपतियों के साथ बैठकें दिखाकर निवेश अभियान प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता एकदम विपरीत है। पिछले 11 वर्षों में जो भी करार बताए गए उसका 10 प्रतिशत भी मैदान में नही आया है। मजा देखिए वापिस आने के शीघ्र बाद ये श्रीमंत लंदन जाने वाले हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का एक और निष्कर्ष है कि प्रदेश में लोकप्रिय योजनाओं का क्रियान्वयन और विदेश यात्राएं दिखाकर शिवराज कहीं न कहीं स्वयं को नरेन्द्र मोदी से कमतर नहीं आंकना चाहते। शायद वे दिखाना चाहते हैं कि नरेन्द्र मोदी के बाद, बल्कि उनसे भी अच्छा विकल्प शिवराज के रूप में देश में मौजूद है। 
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे के एक सूचना आवेदन में मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिखित रूप से स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की विदेश यात्राओं और उससे जुडी गतिविधियों का कोई समन्वय अथवा संकलन इस कार्यालय द्वारा नही रखा जाता। केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार जनप्रतिनिधियों के ऐसे ब्यौरे स्वतः सार्वजनिक किए जाना चाहिए। 
इधर सोई हुई कांग्रेस भी अब जागी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने विदेशी निवेश के नाम पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सरकारी दौरों को निजी बताते हुए कहा है कि राजस्व कोष से करोड़ों रूपए व्यय किए गए हैं। श्री यादव ने इस पर विस्तृत श्वेत पत्र जारी करने की मांग मुख्यमंत्री से की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री और उनके सलाहकार विदेशों में पढ़ रहे पुत्र-पुत्रियों से मुलाकात करने और उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश दिलवाने के लिए निजी दौरों को शासकीय दौरों में तब्दील कर रहे हैं आपने प्रधानमंत्री से कड़ा रूख अपनाने का आग्रह किया हैं जैसा कि वे अन्य मंत्रियों के साथ सख्ती से कर रहे हैं।