जो इंदिरा ने किया अब वही करने जा रहे हैं पीएम मोदी
डॉ. अरूण जैन
आखिरी बार जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का सरकारी दौरा किया था तो उस समय न तो इंटरनेट का जमाना था और न ही मोबाइल फोन बना था। युवा अमिताभ बच्चन उस समय बॉलीवुड के बेताज बादशाह थे और भारत आर्थिक उदारीकरण से पहले वाली दुनिया में रह रहा था। आखिरी बार यूएई का दौरा करने वाली इंदिरा गांधी थीं जो वहां 34 साल पहले गई थीं। यूएई समृद्ध राष्ट्रों का एक संघ है और भारत के साथ इसके घनिष्ठ संबंध हैं। ये देश कुछ साल पहले तक भारत का सब से बड़ा व्यापारिक साझीदार था। अब चीन और अमेरिका के बाद ये तीसरे स्थान पर है। यूएई के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मखदूम। भारत यूएई का अब भी बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। सियासी लिहाज से दोनों देश एक दूसरे के पुराने मित्र हैं। वहां भारत के 26 लाख लोग काम करते हैं और अपने देश को हर साल 12 अरब डॉलर की बड़ी रकम भेजते हैं।लेकिन इसके बावजूद इंदिरा गांधी के बाद कई प्रधानमंत्री आए और गए, मगर यूएई का दौरा नहीं किया। मनमोहन सिंह के 2013 में वहां जाने की पूरी तैयारी हो गई थी, लेकिन आखिरी लम्हे में ये दौरा स्थगित कर दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कूटनीतिक अनदेखी को दूर कर रहे हैं। मोदी मध्य एशिया के देशों का दौरा पहले ही कर चुके हैं। ये उस क्षेत्र के अरब देश का उनका पहला सरकारी दौरा था। केवल एक लम्बी कूटनीतिक अनदेखी को दूर करना ही इस दौरे का अकेला मकसद नहीं था। कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में यूएई भारत का एक अहम पार्टनर है। भारत को गैस और तेल की जरूरत है और यूएई इसका एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है और इससे भी बड़ा भागीदार बनने की क्षमता रखता है। यूएई की आर्थिक कामयाबी का मतलब ये है कि इसकी अर्थव्यवस्था 800 अरब डॉलर की है। निवेश के लिए इसे मार्केट चाहिए जो भारत के पास है। फिलहाल भारत में इसका निवेश केवल तीन अरब डॉलर का है।सुरक्षा के लिहाज से भी यूएई भारत के लिए अहमियत रखता है। भारत में हुए कुछ चरमपंथी हमलों की तारें दुबई से जुड़ती हैं। मुंबई में 2008 में हुए हमले के सिलसिले में जेल की सज़ा भुगत रहे डेविड हेडली हमले से पहले और बाद में कई बार दुबई में जाकर रहा था। इसी तरह से मुंबई में ही 2003 में हुए दोहरे बम विस्फोट में सजा काटने वाले मुहम्मद हनीफ़ ने धमाकों का प्लान दुबई में बनाया था। यूएई ने भारत को हमेशा सुरक्षा सहयोग दिया है। इसमें और मज़बूती लाने की जरूरत है । यूएई में रहने वाले प्रवासी भारतीय अमेरिका और यूरोप से कई मायने में अलग हैं। वहां काम करने वाले भारत के 26 लाख लोगों में अधिकतर मज़दूर तबके के हैं। वो भारत के नागरिक हैं और साल में एक दो बार अपने घरों को ज़रूर आते हैं। इनमें अधिक लोग केरल के हैं जहां बीजेपी अपनी जगह बनाना चाहती है। अमेरिका और यूरोप में प्रवासी भारतीयों ने उनका स्वागत सेलिब्रिटी अंदाज में किया था। संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस और विपक्ष के जि़द्दी रवैए को सहने के बाद यूएई के प्रधानमंत्री मुहम्मद बिन राशिद अल-मख़दूम की मेहमान नवाज़ी का मोदी को बेसब्री से इंतजार होगा।
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