Monday 10 October 2016

जापान ने सुभाषचन्द्र बोस की मौत की जानकारी पहले अमेरिका को क्यों दी ?


सांताक्लारा, (कैलिफोर्निया) (अरूण जैन)। कितनी अजीब बात है कि वर्ष 1945 में ताईवान मे विमान दुर्घटना में मारे गए नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के बारे में पूरी जानकारी जापान सरकार ने अमेरिका को कुछ ही हफ्तों बाद दे दी थी। परन्तु भारत सरकार को अंतिम रिपोर्ट की प्रस्तावना सन् 1956 (11 वर्ष बाद) में सौंपी गई। त्रासदी देखिए, न अमेरिकी सरकार ने सूचना दी और न भारत सरकार ने कुछ किया। यहां तक कि सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक न करते हुए रहस्य बनाए रखा।
इस ताजा जानकारी का श्रेय 91 वर्षीय गोविन्द तलवलकर को दिया गया है, जो अभी अमेरिका में रह रहे हैं। महाराष्ट्र टाइम्स के पूर्व मुख्य संपादक रह चुके श्री तलवलकर को ये दस्तावेज नेशनल डाइट पार्लियामेंट लायब्रेरी ऑफ जापान से मिले हैं। बोस फाइल्स डॉट इंफो पर बताया गया है कि 97-2 मॉडल की जापानी बमवर्षक विमान सुभाषचन्द्र को दोपहर एक बजे ताइहोकू (ताइपे का जापनी नाम) एयर फील्ड पर पहुंचा था। तेल भरने के बाद दोपहर दो बजे विमान ने फिर से उड़ान भरी और कुछ मीटर की उंचाई पर जाते ही तकनीकी गड़बड़ी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया और नेताजी की मौत हो गई।
इस सारे रहस्योद्घाटन का एक और दिलचस्प पहलू यह भी है कि भारत सरकार को यह रिपोर्ट दक्षिण पूर्व एशिया में मित्र देशों की सेना के कमांडर लार्ड लुइस माउंटबेटन द्वारा जानकारी मांगने पर सन् 1956 में दी गई। लब्बोलुआब यह है कि भारत सरकार ने तब भी जानकारी नही मांगी थी। भारत सरकार का यह रवैया सभी की समझ से परे है, जबकि देश आजाद होने के बाद लम्बे समय तक कांग्रेस की सरकार सत्ता में रही। हालांकि भाजपा के माध्यम से सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ माह पूर्व बोस से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की घोषणा की है। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने भी दस्तावेज सार्वजनिक करने की घोषणा की, पर राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह भी ‘वोट राजनीति’ है। क्योंकि नेताजी से जुड़ी 200 महत्वपूर्ण फाइलें अभी भी गोपनीय रखी गई है। कांग्रेस ने लम्बे समय तक इसे रहस्य के पर्दे में क्यों रखे रखा ? नरेन्द्र मोदी इसे क्यों उजागर करना चाहते है ? जापान ने भी इतने लम्बे समय से चुप्पी क्यों साध रखी है ? अब इस जानकारी को देने के पीछे क्या मंशा है? यह सब ऐसे अनुत्तरित प्रश्न है जिसका जवाब संभवतः कोई भी नही देना चाहेगा। परन्तु विश्लेषक यह कहने से नही चूक रहे कि नरेन्द्र मोदी कुछ समय पूर्व अपनी जापान यात्रा में वहां की सरकार को इस बात के लिए राजी करके आए हैं और इस घटना रिपोर्ट के माध्यम से वे एक बार फिर कांग्रेस को घेरे में लेना चाहते हैं।

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