तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है अमेरिका-रूस की लड़ाई
मिडिल ईस्ट में भयावह युद्ध का दौर चल रहा है… भारत-पाकिस्तान-चीन में तनातनी नॉर्मल से आगे की बढ़ चुकी है… रूस-अमेरिका के रिश्तों में और खटास आ चुकी है. तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाओं के बादल अगर किसी समय सबसे ज़्यादा प्रबल होने के आसार हैं, तो वो ये समय है. जिन्होंने बाकी दो विश्व युद्धों को करीब से देखा और झेला है, उनके हिसाब से इस वक़्त जो स्थितियां बन रही हैं, वो किसी बड़े टकराव की ओर ही ले जा रही हैं. अगर हालिया घटनाओं पर नजऱ डालें, तो तीसरे विश्व युद्ध की कल्पना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसका ताज़ा सबूत है रूस-अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव. ये दोनों ही देश, वेसे तो कभी भी एक-दूसरे के फेवरेट नहीं रहे, लेकिन बातचीत की कोशिशें दोनों ने जारी रखी, जिस पर हाल ही में दोनों दशों ने विराम लगा दिया.
रूस की मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स के देश भर में प्रसारित होने वाली टीवी सर्विस में बोला गया है कि अमेरिका मॉस्को के खिलाफ अपने परमाणु हथियार तैयार कर रहा है और हो सकता है कि ये बात आगे तक जाये. आगे का मतलब साफ़ तौर पर जंग से था. रूस के प्रेजिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिका के साथ हथियारों को लेकर किये गए अपने एक समझौते से हाथ खींच लिए, जिससे साफ ज़ाहिर होता है कि रूस अब अमेरिका के साथ किसी भी तरह की दोस्ती निभाने के मूड में तो नहीं है. सीरिया में सिविलियन्स के खिलाफ अपनी असंवेदनशील कार्यवाही के लिए रूस को पहले ही अमेरिका सहित बाकी देश लताड़ चुके हैं, लेकिन वो इससे पीछे नहीं हटा. ये सीरिया में रूस की नीति का अहम हिस्सा है.जनता को जारी किये गये सन्देश में मॉस्को में ऐसे अंडरग्राउंड शेल्टर्स की भी बात की गयी, जहां इमरजेंसी के समय मॉस्को शहर की पूरी पॉपुलेशन आ सकती है. वहीं अमेरिका में पेंटागन की तरफ से बयान आया है कि तीसरा विश्व युद्ध जल्द ही होगा और बहुत जल्दी ख़त्म हो जाएगा. दोनों देशों के स्टेटमेंट्स की तुलना की जाए, तो इनका इशारा एक परमाणु हमले की तरफ है. हालांकि परमाणु शक्ति से लैस, दुनिया का कोई भी देश ऐसे हमले की कल्पना नहीं करेगा, लेकिन इन दोनों देशों के प्रतिनिधिओं की बात से ये तो साफ़ है कि इनका इरादा शांति तो कतई नहीं है. हालांकि इस बात से नकारा नहीं जा सकता है कि ये दोनों देश खुद को युद्ध के लिए तैयार कर रहे हैं, वहीं ये सच्चाई ये भी है कि वॉर करना इतनी आसान चीज़ नहीं है. इसमें जान, माल की जो क्षति होगी, उसकी भरपाई सदियों में भी नहीं हो पाएगी, दुनिया का नक्शा बदल जाएगा.
हिरोशिमा पर हुए एटम बम अटैक के वक़्त जो लोग उस क्षेत्र के आस-पास भी कहीं थे, वो पल भर में गायब हो गए थे. ऐसे अटैक्स के कारण आने वाली कई जेनरेशन्स तक कई बीमारियों और अक्षमताओं के साथ पैदा होंगी. करोड़ों लोग एक बलास्ट में ख़त्म हो जाएंगे, बचेगा तो बस रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स का धुआं, जो बची हुई चीज़ों को भी लील लेगा. हिरोशिमा के एटॉमिक हमले में जो भी इसकी चपेट में आये थे, वो पल भर में ऐसे गायब हुए थे कि उनकी राख तक नहीं मिली थी. आप सोच सकते हैं उसे कई गुना ज़्यादा शक्तिशाली परमाणु हमला क्या तबाही का सकता है? हम आशा करते हैं कि भारत-पाकिस्तान समेत सभी देश अपने मतभेदों का हल बातचीत से निकालें, क्योंकि अगर युद्ध हुआ, तो ये इस धरती का अंत होगा.
रूस की मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स के देश भर में प्रसारित होने वाली टीवी सर्विस में बोला गया है कि अमेरिका मॉस्को के खिलाफ अपने परमाणु हथियार तैयार कर रहा है और हो सकता है कि ये बात आगे तक जाये. आगे का मतलब साफ़ तौर पर जंग से था. रूस के प्रेजिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिका के साथ हथियारों को लेकर किये गए अपने एक समझौते से हाथ खींच लिए, जिससे साफ ज़ाहिर होता है कि रूस अब अमेरिका के साथ किसी भी तरह की दोस्ती निभाने के मूड में तो नहीं है. सीरिया में सिविलियन्स के खिलाफ अपनी असंवेदनशील कार्यवाही के लिए रूस को पहले ही अमेरिका सहित बाकी देश लताड़ चुके हैं, लेकिन वो इससे पीछे नहीं हटा. ये सीरिया में रूस की नीति का अहम हिस्सा है.जनता को जारी किये गये सन्देश में मॉस्को में ऐसे अंडरग्राउंड शेल्टर्स की भी बात की गयी, जहां इमरजेंसी के समय मॉस्को शहर की पूरी पॉपुलेशन आ सकती है. वहीं अमेरिका में पेंटागन की तरफ से बयान आया है कि तीसरा विश्व युद्ध जल्द ही होगा और बहुत जल्दी ख़त्म हो जाएगा. दोनों देशों के स्टेटमेंट्स की तुलना की जाए, तो इनका इशारा एक परमाणु हमले की तरफ है. हालांकि परमाणु शक्ति से लैस, दुनिया का कोई भी देश ऐसे हमले की कल्पना नहीं करेगा, लेकिन इन दोनों देशों के प्रतिनिधिओं की बात से ये तो साफ़ है कि इनका इरादा शांति तो कतई नहीं है. हालांकि इस बात से नकारा नहीं जा सकता है कि ये दोनों देश खुद को युद्ध के लिए तैयार कर रहे हैं, वहीं ये सच्चाई ये भी है कि वॉर करना इतनी आसान चीज़ नहीं है. इसमें जान, माल की जो क्षति होगी, उसकी भरपाई सदियों में भी नहीं हो पाएगी, दुनिया का नक्शा बदल जाएगा.
हिरोशिमा पर हुए एटम बम अटैक के वक़्त जो लोग उस क्षेत्र के आस-पास भी कहीं थे, वो पल भर में गायब हो गए थे. ऐसे अटैक्स के कारण आने वाली कई जेनरेशन्स तक कई बीमारियों और अक्षमताओं के साथ पैदा होंगी. करोड़ों लोग एक बलास्ट में ख़त्म हो जाएंगे, बचेगा तो बस रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स का धुआं, जो बची हुई चीज़ों को भी लील लेगा. हिरोशिमा के एटॉमिक हमले में जो भी इसकी चपेट में आये थे, वो पल भर में ऐसे गायब हुए थे कि उनकी राख तक नहीं मिली थी. आप सोच सकते हैं उसे कई गुना ज़्यादा शक्तिशाली परमाणु हमला क्या तबाही का सकता है? हम आशा करते हैं कि भारत-पाकिस्तान समेत सभी देश अपने मतभेदों का हल बातचीत से निकालें, क्योंकि अगर युद्ध हुआ, तो ये इस धरती का अंत होगा.
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