Monday 6 July 2015

दीव में दिखता है पुर्तगाली सभ्यता का प्रभाव 


डॉ. अरूण जैन
यह स्थान वर्ष 1961 से पहले पुर्तगाली शासन के अधीन था तथा गोवा और दमन के साथ ही इसे स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। ठंडी समुद्री हवा के झोकों तथा प्रदूषण रहित वातावरण के कारण यहां आकर सैलानियों को काफी राहत महसूस होती है। लंबे विदेशी शासन के कारण दीव के भवनों, किलों, भाषा व संस्कृति तथा जीवनशैली पर पुर्तगाली सभ्यता का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। यहां गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी तथा पुर्तगाली भाषाएं बोली व समझी जाती हैं। यहां के निवासियों को फूलों से बेहद लगाव है इसलिए लगभग हर मकान में फूलों के पौधे आपको अवश्य देखने को मिलेंगे। दीव का प्रमुख आकर्षण यहां का किला है जोकि लगभग 5.7 हेक्टेयर क्षेत्र में बना हुआ है और सागर के अंदर समाया हुआ प्रतीत होता है। इस किले का निर्माण वर्ष 1535−41 के बीच में गुजरात के सुलतान बहादुरशाह व पुर्तगालियों द्वारा किया गया था। किले के बीच में पुर्तगाली योद्धा डाम नूनो डी कुन्हा की कांसे की मूर्ति भी बनी हुई है। यहां एक प्रकाश स्तंभ भी बना हुआ है जहां से पूरे दीव का नजारा दिखता है। प्रकाश स्तंभ से आवाज देने पर उसकी प्रतिध्वनि भी सुनाई देती है। पानीकोट का दुर्ग पत्थर की विशाल शिलाओं से बना हुआ है। यह दुर्ग एक समुद्री जहाज के आकार का नजर आता है। इस सुंदर दुर्ग तक पहुंचने के लिए नाव अथवा मोटरबोट की सहायता लेनी पड़ती है क्योंकि यह खाड़ी के मुहाने पर तट से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दुर्ग के बीचोंबीच एक गिरजाघर व प्रकाश स्तंभ भी है। आप सेंट पाल चर्च भी देखने जा सकते हैं। वर्ष 1610 में बनी यह चर्च धार्मिक और ऐतिहासिक, दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आप दीव घूमने आए ही हैं तो नगोआ बीच जरूर जाएं। इस बीच को भारत के सुंदरतम तटों में से एक माना जाता है। इसका आकार घोड़े की नाल के समान है, जिस पर सुनहरी रेत बिखरी हुई है। इसकी लंबाई दो किलोमीटर है तथा रहने के लिए यहां तंबू लगाने की सुविधा भी है। सनसेट प्वाइंट सागर तट की गरजती लहरों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर एक उद्यान और ओपन एअर थियेटर बनाया गया है तथा स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिए कमरों की भी व्यवस्था है। दीव के अन्य दर्शनीय स्थलों की बात करें तो केवड़ी में स्थित संगीत फुहारे, सेंट थामस चर्च, नवलखा पार्श्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, जामा मस्जिद, दीव संग्रहालय, गोमती माता सागर तट, घोघला सागर तट व मांडवी नगर आदि प्रमुख हैं। दीव में एक विचित्र आकार का ताड़ का पेड़ होता है जिसमें ऊपर एक के स्थान पर दो तने होते हैं, यह पेड़ अंग्रेजी के वाई आकार का दिखता है, इसको होक्का ताड़ भी कहते हैं। दीव के हवाई अड्डे पर जेट एअर की मुंबई से प्रतिदिन की उड़ाने हैं। यदि यहां रेल मार्ग से आना चाहें तो आपको निकटतम रेलवे स्टेशन वेरावल पड़ेगा। जहां से आपको दीव तक के लिए बस सेवा उपलब्ध हो जाएगी।

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