सिहंस्थ क्षेत्र निर्माण ‘‘डेड लाइन’’-31 दिसम्बर
अरूण जैन
अब समय समाप्ति पर है । नासिक का कुंभ स्नान पूरा हो चुका है । साधु संतों के अग्रिम व्यवस्था दस्ते अगले माह से उज्जैन आना शुरू हो जाएंगे । प्रशासन और निर्माण विभागों के पास मात्र 31 दिसम्बर तक का समय है कि वे कम से कम सिंहस्थ क्षेत्र के सभी निर्माण एवं व्यवस्था कार्य पूरे कर लें । जनवरी 2016 से क्षेत्र संतों से भरना शुरू हो जाएगा यह पक्का तौर पर मान लें ।
त्रासदी है कि सभी सरकारी निर्माण विभागों ने स्वीकृतियाॅं मिलने के बावजूद कार्यादेश जारी करने में ‘सत्रह-अड़चने’ येन-केन-प्रकारेण खड़ी की । फलस्वरूप कार्यों की शुरूआत विलम्ब से हुई । अभी आप यदि लाल पुल, भूखी माता क्षेत्र, बड़नगर मार्ग, आगर रोड, मंगलनाथ, अंकपात आदि का घूमकर निरीक्षण करें तो कई क्षेत्रों में बुरी, उबड-खाबड़ स्थिति है । चिंतामन-जंतर मंतर मार्ग पर जो पुल दोनो रेल्वे क्राॅसिंग के उपर से बन रहा है, उसके पूरे होने के आसार सिंहस्थ मेला शुरू होने तक नजर नहीं आते । इस पुल के नीचे का मार्ग पैदल चलने लायक भी नही है । चिंतामन जाने वाला मार्ग भी अपने ढिलंगेपन के कारण दिसम्बर-जनवरी तक पूरा होता नजर नहीं आता । बड़नगर रोड पर भी चैड़ीकरण नहीं के बराबर हुवा है। रूद्रसागर क्षेत्र का अवलोकन करें तो कम से कम 30-40 प्रतिशत काम सड़कों का ही शेष है । घाटों का पुनरूद्धार भी पूरा नहीं हुवा है । बड़नगर रोड से गढ़कालिका-सिद्धवट और मंगलनाथ-अंकपात मार्ग पर भी सड़क कार्य मंथर गति से चल रहा है । शिप्रा नदी के पुलों के कार्य भी अपेक्षित गति से नहीं चल रहे हैं । मानकर चलिए बाबा लोग आने के बाद आपको ये काम नही करने देंगे। उनकी व्यवस्थाओं की मांग ही अधिकारियों को इतना हलकान कर देगी कि वो काम ही पूरे कर दें तो ठीक है, वरना ये चलते काम जनवरी के बाद पूरे करने का अवसर अधिकारियों-ठेकेदारो को मिलेगा इसमें संशय है । मेले के बाद तो पक्का मानकर चलिए कि जो अधूरा रहगया, वह रह ही गया । भले ही नष्ट हो जाए पर प्रशासन फिर ढंग से उनको पूरा नहीं करने वाला । इन अधूरे कामों का प्रभाव श्रद्धालुओं के आने-जाने पर पड़ेगा यह निश्चित है। तब क्या करेंगे। यह अभी से सोच लीजिए।
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