Thursday 1 September 2016

दूसरों के पैसों पर ऐश
शिवराजसिंह चौहान से सीखो


अरूण जैन
नई दिल्ली, 1 सितम्बर। दूसरों के पैसों पर कैसे ऐश किया जाता है यह कोई मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से सीखे ? ये माननीय जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से इनकी पिकनिकनुमा सरकारी विदेश यात्राएं बराबर जारी हैं। दावा किए गए करोड़ों रूपए के करारों के बावजूद इनमें से 10 प्रतिशत का भी भौतिक क्रियान्वयन प्रदेश में नहीं हुवा है। अभी भी इनका अमेरिका दौरा जारी है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री सचिवालय ने एक लिखित प्रतिउत्तर में कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का कार्यालय उनकी विदेश यात्राओं का कोई रिकार्ड नही रखता।
नियमानुसार देश के किसी भी हिस्से में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की नैतिक जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस जिम्मेदारी को बखूबी निभा भी रहे हैं। वैसे प्रधानमंत्री ने किसी भी बहाने शौकिया विदेश यात्रा करने वाले मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों पर लगाम कसी है। ऐसे किसी भी मंत्री का विदेश यात्रा प्रस्ताव पहले पीएमओ जाएगा। उनके संतुष्ट होने और अनुमति देने पर ही संबद्ध मंत्री विदेश जा सकेगा। संतुष्टि के लिए पीएमओं ने मंत्री के लिए व्यवहारिक प्रेजेंटेशन देने का प्रावधान भी रखा है। ऐसे में मुख्यमंत्री श्विराजसिंह चौहान को लगातार विदेश यात्रा की अनुमति किस आधार पर दी जा रही है, यही समझ से परे है।
शिवराजसिंह चौहान ने 29 नवम्बर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। एक वर्ष भी मुश्किल से बीता और माननीय शिवराजजी ने विदेश की दौड़ शुरू कर दी। उनकी पहली विदेश यात्रा दिसम्बर 2006 में सिंगापुर की हुई। यहां तीन करारनामेे होना बताए गए। जनवरी 2007 में श्रीमान फिर इजराइल उड़ लिए। कृषि, कम पानी में सिचांई, डेयरी के करारनामे यहां भी बताए गए। भाग्य देखिए दूसरी बार दिसम्बर 2008 में फिर मुख्यमंत्री बन गए। तीसरी बार भी मुख्यमंत्री बन गए। विदेश यात्राएं भी चलती रही क्योंकि चस्का जो लग गया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से तो शिवराज जी की विदेश यात्राएं एक और माने में उल्लेखनीय हैं। जहां भी प्रधानमंत्री गए, तुरन्त बाद शिवराज भी चले गए। चीन, अमेरिका, यूरोप, श्रीलंका कुछ भी नही छोड़ा। शिवराज की चीन यात्रा तो उस समय हुई जब इस देश ने भारत का नीतिगत विरोध किया था। इस दौरे पर प्रश्न भी खड़े हुए थे। अभी ये श्रीमंत अमेरिका में सपत्नीक पिकनिक मना रहे हैं। हालांकि उद्योगपतियों के साथ बैठकें दिखाकर निवेश अभियान प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता एकदम विपरीत है। पिछले 11 वर्षों में जो भी करार बताए गए उसका 10 प्रतिशत भी मैदान में नही आया है। मजा देखिए वापिस आने के शीघ्र बाद ये श्रीमंत लंदन जाने वाले हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का एक और निष्कर्ष है कि प्रदेश में लोकप्रिय योजनाओं का क्रियान्वयन और विदेश यात्राएं दिखाकर शिवराज कहीं न कहीं स्वयं को नरेन्द्र मोदी से कमतर नहीं आंकना चाहते। शायद वे दिखाना चाहते हैं कि नरेन्द्र मोदी के बाद, बल्कि उनसे भी अच्छा विकल्प शिवराज के रूप में देश में मौजूद है। 
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे के एक सूचना आवेदन में मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिखित रूप से स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की विदेश यात्राओं और उससे जुडी गतिविधियों का कोई समन्वय अथवा संकलन इस कार्यालय द्वारा नही रखा जाता। केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार जनप्रतिनिधियों के ऐसे ब्यौरे स्वतः सार्वजनिक किए जाना चाहिए। 
इधर सोई हुई कांग्रेस भी अब जागी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने विदेशी निवेश के नाम पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सरकारी दौरों को निजी बताते हुए कहा है कि राजस्व कोष से करोड़ों रूपए व्यय किए गए हैं। श्री यादव ने इस पर विस्तृत श्वेत पत्र जारी करने की मांग मुख्यमंत्री से की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री और उनके सलाहकार विदेशों में पढ़ रहे पुत्र-पुत्रियों से मुलाकात करने और उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश दिलवाने के लिए निजी दौरों को शासकीय दौरों में तब्दील कर रहे हैं आपने प्रधानमंत्री से कड़ा रूख अपनाने का आग्रह किया हैं जैसा कि वे अन्य मंत्रियों के साथ सख्ती से कर रहे हैं।

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