Friday 23 September 2016

सर्व शक्तिमान देश अमेरिका में भय की भावना क्यों...?

(वाशिंगटन डी.सी.से अरूण जैन)
पूरे विश्व में एक सर्वशक्तिमान देश माने जाने वाले अमेरिका में इन दिनों अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना असर दिखाने वाले आतंकवाद और आईएस.आई एस की धमकियों के कारण भय की भावना व्याप्त हो गई है, जो न्यूयार्क और वाशिंगटन जैसे महानगरों के चौराहों और दीवारों पर लगे बैनरों व पोस्टरों के माध्यम से उजागर हो रही है। अमेरिका के इन दोनों महानगरों की दीवारों और चौराहों पर लगे पोस्टरों व बैनरों पर लिखा है-‘‘वी आर नॉट कॉबर्ड, वी केन यूस गन टू सेव अॅवर फ्रीडम (हम डरपोक नहीं है, हम अपनी आजादी की रक्षा के लिए बंदूक भी उठा सकते है) एक अन्य ‘स्लोगन’ में लिखा है- वी डोंट वांट टू बिकम सिओल, वी सेव अॅवर फ्रीडम’’ (हम सिओल नही बनना चाहते, हम हमारी आजादी की रक्षा करेंगे)
अमेरिका के प्रमुख शहरों की दीवारों व चौराहों पर लगे इन पोस्टरों व बैनरों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि अमेरिका अपनी आजादी की आड़ में अपना भय छुपाना चाहता है। एक ओर जहां संयुक्त राष्ट्रसंघ के भयं से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपरोक्ष रूप से भारत का साथ देने के नाम पर दबे शब्दों में अमेरिका की धरती पर उसकी आलोचना करते हैं वहीं अमेरिका अपनी एक प्रमुख रिपोर्ट के माध्यम से पाक को दुनिया का सबसे बड़ा और पांचवा खुराफाती आतंकी देश बता रहा है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ के जिस मंच से पाक प्रधानमंत्री ने कश्मीर का हल निकले बगैर एशिया में ‘शांति स्थापित नहीं होने की धमकी दी, वहीं उसी मंच से अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम भाषण में स्पष्ट कह दिया कि यदि कुछ लोग (देश) ऐसा सोचते है कि सुनहरा भविष्य सिर्फ ‘सशक्त’ का ही साथ देता है, तो यह मैं नहीं मानता, सुनहरे भविष्य के दिन दिखने के लिए सशक्त होना जरूरी नहीं, इसलिए अपने आपको हर तरीके से सक्षम बनाने या समझने की यह स्पर्धा खत्म होनी चाहिए और हर एक को अपने दायरे में रहकर अपनी समृद्धि के बारे में सोचना चाहिए। राष्ट्रपति ओबामा के विदाई संदेश का इशारा किस देश की ओर था, यह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है, उन्होने बिना नाम लिए चीन-पाकिस्तान के गठजोड़ और सर्वशक्तिमान बनने की स्पर्धा मंे शामिल होने का यह संकेत दिया है।
यह तो हुई अमेरिका में व्याप्त आंतरिक भय और कुछ ही दिनों के मेहमान अमेरिकी राष्टपति के इशारे की बात। अब यदि हम यहां बन रहे माहोल की बात करें, तो एक ओर जहां यहां अगले माह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की गहमा-गहमी है, इलेक्ट्रानिक मीडिया इनके प्रचार का प्रमुख साधन बना हुआ है, वहीं इसी दौरान पिछले सप्ताह न्यूयार्क शहर में तीन जगह हुए बम विस्फोटो ने भी चुनावी माहोल को और अधिक डरावना बना दिया है। राजनीतिक तौर पर यह आशंका की जाने लगी है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ऐसे बम धमाके कही चुनाव माहौल को न बिगाड़ दें, वहीं राष्ट्रपति पद के दोनों प्रमुख उम्मीदवारों, ट्रम्प और हिलैरी क्लिटन की सुरक्षा भी काफी बढ़ा दी गई है, जिसका असर उनके अपने जनसम्पर्क पर पड़ा है।
इस तरह कुल मिलाकर अमेरिका में धीरे-धीरे एक अजीब तरह का माहौल बनता जा रहा है, और इस माहौल से निपटने का हल किसी के पास भी नही दिखाई दे रहा है।

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