Monday 13 April 2015

समापन किश्त


दुबई के आर्थिक विकास में पर्यटन-उड्डयन का विशेष योगदान 

अरूण जैन
दुबई के प्रति आकर्षित होने वाले लोगों और सामान्यजनों को जान कर आश्चर्य होगा कि इस अमीरात को राजस्व आय तेल से नही होती बल्कि उसके आर्थिक विकास और मुख्य राजस्व के स्त्रोत पर्यटन, उड्डयन सेवाएं, जमीनों का व्यवसाय और वित्तीय सेवाएं हैं । तेल से तो दुबई को लगभग 5 प्रतिशत राजस्व ही प्राप्त होता है । 
अरब रेगिस्तान में होने के बावजूद दुबई ने रेत के बड़े-बड़े ढूहों को पर्यटन के सर्वाधिक बड़े आकर्षण के रूप में विकसित कर लिया है । यहां आने वाला रेगिस्तान से डरता-घबराता नही बल्कि रोमांचित होता है । रेगिस्तान की अमिट यादें लेकर लौटता है पर्यटक, फिर से वापस आने के लिए । सन् 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार इस अमीरात की कुल जनसंख्या का 53 प्रतिशत तो केवल भारतीय लोग हैं । 17 प्रतिशत अमीराती, 13 प्रतिशत पाकिस्तानी, 7.5 प्रतिशत बांगलादेशी, 2.5 प्रतिशत फिलीपीनो और 1.5 प्रतिशत श्रीलंकाई नागरिक हैं । हालांकि अरबी भाषा यहां की राष्ट्रीय और सरकारी भाषा है, पर अंग्रेजी दूसरी मुख्य भाषा है । वैसे हिन्दुस्तानी, पंजाबी, सिंधी, गुजराती भाषा भी बहुतायत में बोली जाती है क्योंकि बहुसंख्य जनसंख्या तो वही है । वैसे तो दुबई में 50 हजार से 70 हजार बेरल प्रतिदिन तेल का उत्पादन होता है, इतनी ही प्राकृतिक गैस भी । फिर भी इससे मात्र 5 से 7 प्रतिशत अमीरात राजस्व की प्राप्ति ही होती है । तेल के इस भंडार की भी अगले 20 वर्ष में समाप्त हो जाने की संभावनाएं हैं रियल इस्टेट और निर्माण से 22.6 प्रतिशत, व्यापार से 16 प्रतिशत, पर्यटन और उड्डयन से 15 प्रतिशत और वित्तीय सेवाओं से 11 प्रतिशत राजस्व आय हो रही है और यही दुबई के की आर्थिक उन्नति के बड़े योगदानी हैं । दुबई के निर्यात के मुख्य क्षेत्र भारत (6.53 बिलियन डालर), स्विट्जरलेंड (2.36 बिलियन डालर) इराक (2.8 बिलियन डालर) है । दुबई के आयात के मुख्य स्त्रोत भारत (12.55 बिलियन डालर), चीन (11.55 बिलियन डालर) और संयुक्त राष्ट्र (7.57 बिलियन डालर) है । भारत दुबई का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है । पश्चिमी उत्पादकों के लिए दुबई और उसके दुबई क्रीक और डेरा बंदरगाह महत्वपूर्ण बंदरगाह रहे हैं । 1970 के दशक से दुबई व्यापार का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है । यहां सोने का ड्यूटी फ्री व्यापार है और 1990 तक यहां सोने की ईंटे और शिलाएं भारत जाती रही हैं । दुबई का जेबेल अली बंदरगाह 1970 में बना । यह विश्व का सबसे बड़ा मानव निर्मित बंदरगाह है । बुर्ज खलीफा, पाम द्वीप और सबसे मंहगा बुर्ज अल अरब होटल देखने से संबंध रखते है । दुबई को विश्व में ‘सिटी आॅफ गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है । सन् 2011 में दुबई का सोने का व्यापार 580 टन रहा है । विश्व के सर्वश्रेष्ठ वित्तीय शहरों और धनी शहरों में दुबई का 27 वां स्थान, सन् 2012 के अनुसार रहा है । दुबई ने अपने आर्थिक विकास को बढ़ाने की दृष्टि से कुछ और महत्वपूर्ण परियोजनाएं तैयार की हैं। इनमें दुबई फेशन 2020, और वल्र्ड एक्सपो 2020 है । अकेले दुबई में कम से कम 70 शाॅपिंग सेंटर है जिनमें विश्व का सबसे बड़ा शाॅपिंग सेंटर ‘दुबई माल’ भी है । 
मानव अधिकार संगठनों ने मानव अधिकारों के हनन के लिए दुबई का घोर विरोध किया है । करीब ढाई लाख मजदूर नारकीय जीवन यहां पर जी रहे हैं । इन मजदूरों के साथ अनुचित व्यवहार पर सन् 2009 में बनी एक फिल्म ‘स्लेव्स इन दुबई’ काफी चर्चित हुई है । हालांकि दुबई सरकार मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार को समय-समय पर नकारती रही है । सन् 2014 में मानव अधिकार संगठन की एक ताजा रिपोर्ट में संयुक्त अरब अमीरात में घरेलू कामकाजी महिलाओं के स्याह पक्ष की तस्वीर उकेरी गई है । इनमें अधिकांश एशियाई देशों, विशेषकर भारतीय महिलाएं शामिल हैं । जनवरी 2013 के अनुसार दुबई अमीरात की जनसंख्या 21 लाख से अधिक है ।

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