Monday, 6 April 2015

समापन किश्त-उजबेकिस्तान

सार्वजनिक सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी 67 प्रतिशत

डाॅ. अरूण जैन
उजबेकिस्तान, हालांकि उजबेक बहुल (81 प्रतिशत) देश है, बावजूद इसके यहां सार्वजनिक सेवाओं में महिला भागीदारी अधिक नजर आई । बुरका प्रथा भी नहीं के बराबर ही दिखाई दी । सन् 1991 में यू.एस.एस.आर. से पृथक होने के बाद यहां यूरोपीय वातावरण का प्रभाव बढ़ा है, जो एक स्वतंत्र और खुलेपन का संकेत है । महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर, बराबरी से परिश्रम कर रही हैं ।
यह देश, पांच देशों की सीमाओं से घिरा हुवा है- कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किरगिस्तान, अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान । पहले दिन से ही हम पत्रकारों ने अनुभव किया कि ताशकंद में उतरने से लेकर अपने पूरे प्रवास में सभी सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं ही ज्यादा कार्यरत दिखी । फिर चाहे होटल हो, सफाई व्यवस्था हो, मेट्रो अथवा बुलेट ट्रेन हो या स्थानीय व्यवसाय । सरकारी सेवाओं में जरूर महिलाओं का प्रतिशत कुछ कम नजर आया । स्थानीय मार्गदर्शक और रहवासियों ने चर्चाओं में बताया कि महिलाएं घरेलू कार्य प्रमुखता से करती है । इसके बाद भी सार्वजनिक सेवाओं में महिला भागीदारी का सामान्य औसत 67 प्रतिशत और पुरूष भागीदारी 35 प्रतिशत है । सरकारी कामों में जरूर महिला भागीदारी 40 प्रतिशत के आसपास है । फिर भी रूढिवादी परम्पराओं का प्रभाव यहां काफी कम है । शायद आधुनिक वातावरण विकसित होने के पीछे यही मुख्य नजरिया नजर आया । बाजारों में महिला विक्रेताएं, रेस्टोरेंट और होटलों में बेली-केबरे डांसर आम है । कई रेस्तराओं का संचालन ही महिलाएं करती हैं । यह एक अच्छा संकेत है । रेलवे सेवा में महिला कर्मचारियों का प्रभुत्व है ।
भाषा अवरोध होने के बावजूद यहां भारत के साथ काफी साम्यता है । प्राचीन आर्यवर्त का हिस्सा होने की इसकी पुष्टि कुछ और तथ्यों से भी होती है । चार्वाक लेक, चिमगन माउन्टेन, ब्रम्हाजी होटल, चोरसू बाजार आदि ऐसे कई सार्वजनिक स्थल हैं, जिनके नाम पौराणिक-भारतीय ग्रंथों से प्रेरित लगते हैं । यहां न्यू ईयर 21 मार्च को मनाया जाता है जिसे नवरोज नाम दिया गया है । इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है । भारत की तरह यहां का राष्ट्रीय खेल-फुटबाल ही है । भारत के समान ही उजबेक भी प्रजातांत्रिक देश है । राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ यहां संसद है जिसमें अपर हाउस-सीनेट कहलाता है और लोअर हाउस विधान परिषद । यूरोपीय पेटर्न पर यातायात दाहिने हाथ पर संचालित होता है । यहां केवल 10 प्रतिशत कृषि भूमि ही नदियों और पोरवरो से सिंचित है । शेष हिस्सा या तो बड़ा रेगिस्तान है अथावा पर्वत श्रंखलाएं । अपने आप में समृद्ध इतिहास को समेटे इस देश में बेशुमार स्थायी स्मारक और पुरातन इमारतें मौजूद हैं, जिनका रखरखाव देखने लायक है । ठंड के मौसम में -10 डिग्री सेल्सियस तक रहने वाले तापमान के कारण यहां बर्फबारी बहुत सामान्य है और लंबी-चैड़ी पर्वत श्रंखलाओं पर जमी बर्फ की चादर इतनी आकर्षक है कि यूरोपीय स्विंट्जरलेंड इसके आगे कहीं नही ठहरता ।

No comments:

Post a Comment