Monday 6 April 2015

उजबेकिस्तान यात्रा . 4

इकाॅनाॅमिक बूम की प्रतीक्षा में उजबेकिस्तान !

डाॅ. अरूण जैन
अच्छी तकनीक, विकास में एशियाई और यूरोपीय देशों का मुकाबला करता उजबेकिस्तान अभी भी असंतुष्ट और खाली-खाली नजर आता है । पानी, बिजली और जमीन की कोई कमी इस देश में नही है, जो किसी भी विकसित हो रहे राष्ट्र के लिए पहली महत्वपूर्ण जरूरत है । इसके शहरों में आधुनिक, तेज गति रेल सेवा है, अत्याधुनिक मेट्रो सेवा है, व्यवस्थित बस एवं स्थानीय सेवाएं है । आधुनिक और पूर्ण सुविधायुक्त होटल हैं । मेन पाॅवर भी है । चार लाख 48 हजार 978 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले, तीन करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाले इस देश की सबसे बड़ी समस्या मुद्रा की लगती है, जो चलन में है । यहां की स्थानीय मुद्रा ‘सोम’ कहलाती है, जिसकी विनिमय दर 100 रूपए में चार हजार सोम है । मुझे तो पूरे समय छोटा सा छोटा नोट 500 सोम का ही नजर आया, वह भी भूले भटके । इससे छोटा देखने को नही मिला । एक हजार, पांच हजार सोम के नोट तो बहुत कामन है । वैसे तो रहन-सहन, खान-पान का स्तर भारत के समतुल्य ही है । पर फिर भी वस्त्र, सूखा मेवा हमारे देश की अपेक्षा यहां सस्ता है । इसमें स्थानीय होने का पुट भी है, जो अन्य यूरोपीय-एशियाई देशों में नजर नही आता । 
ताशकंद पहुंचते ही मैने सबसे पहले एक सौ अमेरिकन डालर के बदले स्थानीय मुद्रा सोम ली जो तीन लाख सोम से भी कुछ अधिक थी । बाकी मित्रों ने भी यही किया । एक बारगी तो हमें एहसास हुवा कि हम सभी लखपति हो गए । परन्तु जब खरीददारी के लिए निकले तो पता चला कि यह तो एक दिन के लिए भी पर्याप्त नही थी । यहां प्राचीन अर्थशास्त्री का सिद्धांत याद आया कि झोला भरकर नोट लेकर जाओ और जेब में सामान रख कर वापस आओ । सामान्य रहन-सहन स्तर के बावजूद एक बात सबसे ज्यादा अखरी कि बाथरूम जाने के भी पैसे लगते हैं । निजी सार्वजनिक बाथरूम में जाने के लिए प्रति व्यक्ति एक हजार सोम अदा करने होते हैं । सरकारी बाथरूम में भी 500 सोम देने होते हैं, जो कई साथियों को रेलवे स्टेशन पर और चिमगन माउंटेन (हिन्दुकुश पर्वत श्रंखला) की यात्रा के दौरान अदा करना पड़े । हां, होटलों और रेस्टोरेंट में यह बाध्यता नही थी । और तो और ताशकंद एयरपोर्ट पर पहुंचते ही लगेज ट्राली उठाने गए तो पोर्टर ने रोकते हुए तीन हजार सोम प्रति ट्राली किराया अदा करने को कहा । अधिकांश भौचक्के सदस्य अपना सामान खुद एयरपोर्ट से हाथो में बाहर लेकर आए । मोबाईल सिम 15 डाॅलर में मिलती है, जिसमें 8.5 डालर का ‘टाॅकटाइम’ मिलता है । लोकल काॅल निःशुल्क है, पर देश के बाहर काॅल करने पर दो डाॅलर प्रति मिनिट चार्ज लगता है अर्थात चार-पांच मिनिट में काॅल टाइम समाप्त । होटलों के फोन से यह चार्ज चार डालर प्रति मिनिट है । यह अत्यन्त मंहगा है और भुगतान भी हर संभव डाॅलर में ही लेते हैं । मेरे मोबाइल में तो उज्जैन की आइडिया और बी.एस.एन.एल. की दो सिम थी । होटलों में सभी जगह निःशुल्क वाई-फाई सेवा है । मैने यूं ही बेमतलब प्रयास वाट्सप पर किया और भाग्य देखिये ‘वाट्स एप’ से चित्र और मैसेज उज्जैन, मुंबई और अन्य स्थानों पर चले गए । वापसी में पुष्टि भी आ गई । बस, मैं तो जब तक रहा, होटल उजबेकिस्तान पहुंचकर रात को या सुबह सवेरे काफी सारे खीचे गऐ चित्र मित्रों और बच्चों को भेज देता था । बातें भी हो जाती थी । ऐसी निःशुल्क सेवा ने यात्रा का मजा दोगुना कर दिया । खैर, खाने-पीने की दरो का जायजा लीजिए । तैयार काॅफी 2000 सोम (50 रूपये), नमकीन पेकेट 1000 सोम (25 रूपये), चाय 1500 सोम (37 रूपये), आइसक्रीम 3000 सोम (75 रूपए), । सूखे मेवे के बाजार में 50 प्रतिशत के आसपास बारगेन (मोल-तोल) की स्पष्ट गुजाइश है । यही स्थिति रेडीमेड कपड़ों, कोट, जर्किन आदि में भी है । पर सभी जगह डाॅलर की भूख नजर आई । उजबेक की स्थानीय मुद्रा के प्रति दिलचस्पी कम दिखी । हालांकि लेने से इंकार नही करते । त्रासदी देखिए कि उजबेक के किसी भी एयरपोर्ट पर अधिकारी, दुकानदार ‘सोम’ स्वीकार ही नही करते । केवल डाॅलर में भुगतान लेते हैं । क्योंकि मेरे पास कुछ स्थानीय मुद्रा वापसी पर बच गई थी, भारतीय एयरपोर्ट पर जब मैने ‘एक्सचेंज’ का प्रयास किया तो अधिकारियो ने इंकार कर दिया । बताया कि रिजर्व बैंक उजबेक मुद्रा नही लेती । अर्थात स्थानीय मुद्रा अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में कहीं भी स्वीकार्य नहीं है, खुद के देश में भी नहीं । शायद यही मुख्य कारण नजर आता है- विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त न होना । वैसे इस देश के पर्यटन व्यवसाय में इसी वर्ष से बूम की शुरूआत हुई है । वर्षांत तक पर्यटक संख्या में आशतीत वृद्धि होने की संभावना है । विदेशी मुद्रा भंडार की वृद्धि के लिए यह एक सुखद पहलू है । इसी से जुड़ा होटल और रेस्टोरेंट व्यवसाय है, जिसकी अभी भी पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं । उजबेक सरकार के पास बहुत बड़ी मात्रा में रिक्त जमीन उपलब्ध है । सरकार ने होटल व्यवसाय के लिए निःशुल्क भूखंड देने की योजना शुरू की है । भारत से टाटा उद्योग ने एक फाइव स्टार होटल के लिए काम शुरू किया है । उसे सरकार ने निःशुल्क जमीन दे दी है । यूरोप की तर्ज पर यहां रात्रि डिनर के दौरान आकर्षक बेली डांस और केबरे के अलावा हिन्दुस्तानी गानों पर नृत्य के कार्यक्रम रेस्टोरेंट-होटलों में आम है । वोदका, कोन्याक जैसी स्थानीय मदिरा के साथ यूरोप की सभी विदेशी मदिरा न केवल निर्धारित दुकानों पर उपलब्ध है वरन होटलों के ओपन बार में भी सुलभ हैं । आटोमोबाइल उद्योगों में शेवेरले, मर्सिडीज जैसी कंपनियों के उत्पादन कारखाने है । वैसे इस देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार घरेलू उत्पादन है जिसमें कपास, सोना, यूरेनियम और प्राकृतिक गैस सम्मिलित है । सरकार ने विदेशी निवेश और घरेलू जरूरतों के लिए आयात को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को नियंत्रित कर रखा है । पर यहां उद्योगों के लिए काफी संभावनाएं मौजूद है । कहना न होगा कि उजबेकिस्तान एक बडे इकाॅनामिक बूम की प्रतीक्षा कर रहा है । निकट भविष्य में एशिया का यह हिस्सा विकसित यूरोपीय देशों की कतार में खड़ा होगा ऐसी अपेक्षा की जा सकती है ।

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