Friday 28 August 2015

इंडस्ट्री को भी नजर आने लगा इकॉनमी में सुधार

डॉ. अरूण जैन
भारतीय इंडस्ट्री ने हाल के महीनों में पहली बार इकॉनमी में सुधार होने की बात मानी है। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) और कार सेल्स जैसे इंडिकेटर्स में आई तेजी के बाद इंडस्ट्री इकॉनमी को लेकर पहले से ज्यादा पॉजिटिव हुई है। मौजूदा फाइनैंशल ईयर के पहले क्वॉर्टर के लिए सीआईआई एएससीओएन इंडस्ट्री सर्वे के नतीजों में इकनॉमिक ऐक्टिविटीज में मामूली सुधार का संकेत मिला है। बहुत सी चुनौतियों के बावजूद इकॉनमी ग्रोथ के रास्ते पर बढऩे की कोशिश कर रही है। सर्वे के मुताबिक, 93 सेक्टर्स में से 16.1 पर्सेंट ने अप्रैल-जून क्वॉर्टर में 20 पर्सेंट से ज्यादा की ग्रोथ दर्ज की है। एक वर्ष पहले की इसी अवधि में यह आंकड़ा 111 सेक्टर्स में से केवल 7.1 पर्सेंट का था। सर्वे में सेक्टर्स से जुड़ी इंडस्ट्री असोसिएशंस से मिले रिस्पॉन्स के आधार पर ग्रोथ को ट्रैक किया जाता है। सीआईआई असोसिएशंस काउंसिल (एएससीओएन) के चेयरमैन नौशाद फोर्ब्स ने कहा, नेगेटिव ग्रोथ के अनुमान वाले कम सेक्टर्स हैं और बहुत से सेक्टर्स में एक वर्ष पहले के मुकाबले अच्छी ग्रोथ दर्ज की गई है। लोअर ऐक्टिविटी वाले सेक्टर्स का शेयर गिरकर 23.6 पर्सेंट पर आ गया, जो पिछले वर्ष के इसी क्वॉर्टर में 26.9 पर्सेंट था। अन्य मासिक इंडिकेटर्स से भी रिकवरी होने का संकेत मिल रहा है। जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि सर्विसेज पीएमआई दो महीने की नेगेटिव ग्रोथ के बाद पॉजिटिव जोन में आ गया। देश की सबसे बड़ी कार मेकर मारुति सुजुकी की जुलाई में सेल्स 20 पर्सेंट बढ़ी है, जबकि देश की दूसरी सबसे बड़ी कमर्शल वीइकल मैन्युफैक्चरर अशोक लीलैंड की पिछले महीने सेल्स 40 पर्सेंट ज्यादा रही। इकॉनमी में रिवाइवल की बड़ी वजह नए फाइनैंशल ईयर में सरकार की ओर से किए जाने वाले खर्च में बढ़ोतरी है, जिससे प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में कमी की भरपाई हुई है।

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