समंदर से घिरा, हरा भरा, खूबसूरत देश मॉरीशस
डॉ. अरूण जैन
मोती के समान सुंदर तथा सफेद मारीशस के चारों तरफ 100 मील का समुद्री तट और मीलों तक फैली रूपहली रेत ही इसका मुख्य आकर्षण हैं। दक्षिणी अफ्रीका के पास स्थित मारीशस द्वीप पर पहले ज्वालामुखी पर्वत थे जिनसे लावा बहता रहता था या बंजर और पथरीली भूमि थी। 1598 में डचों ने मारीशस पर सबसे पहले कब्जा किया और वे तकरीबन 120 वर्षों तक यहां रहे जिसके प्रमाण आज भी यहां मिलते हैं। 1710 में डच मारीशस छोड़ कर चले गए। इसके पांच वर्ष बाद यहां फ्रेंच आए और वह 95 वर्षों तक यहां रहे। इसके बाद फ्रांसीसियों ने इस द्वीप को अंग्रेजों के हाथों बेच दिया। अंग्रेजों ने इस द्वीप को उपजाऊ और हराभरा बनाने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने भारत से बिहारी मजदूरों को परिवार सहित यहां लाकर खेती के काम में लगाया। मारीशस में गन्ने की लहलहाती खेती बिहारी मजदूरों की मेहनत का ही परिणाम है। 17वीं और 18वीं सदी में आए मजदूरों की पीढिय़ों ने हिंदू धर्म, भाषा, पहनावा तथा रहन सहन भारतीय परंपरा के अनुसार ही रखा। मारीशस में वैसे अब नई पीढ़ी आधुनिक पोशाक जींस वगैरह पहनने लगी है लेकिन गांवों में आज भी बड़े बूढ़े साड़ी और कुर्ता−धोती को ही महत्व देते हैं। स्कूलों में भोजपुरी वर्नाकुलर के रूप में अनिवार्य है। यहां की बोलचाल की भाषा क्रेओल है जो फ्रेंच, अंग्रेजी और भोजपुरी भाषा के मिश्रण से बनी है। मारीशस को 1968 में अंग्रेजी शासन से पूर्ण आजादी मिली। मारीशस की जलवायु समशीतोष्ण है। यहां मई से अक्टूबर तक सर्दियों का मौसम रहता है लेकिन तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं जाता है। नवंबर से अप्रैल तक गर्मी के मौसम में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होता है। चूंकि मारीशस चारों ओर समुद्र से घिरा है इसलिए यहां का मौसम वर्ष भर सुहावना बना रहता है। यहां गर्मी में 14 घंटे का और सर्दी में 12 घंटे का दिन होता है। यहां बरसात वर्ष भर होती रहती है। मारीशस में लिली और ताड़ के वृक्षों की शोभा देखते ही बनती है। पांपलेमस में रायल बोटेनिकल गार्डन यहां का सबसे सुंदर गार्डन है। मारीशस की राजधानी पोर्टलुई यहां का सबसे बड़ा शहर एवं बंदरगाह है। यहां की चौड़ी, साफ सुथरी सड़कें तथा यातायात व्यवस्था सैलानियों का मन मोह लेती हैं। पोर्टलुई में बड़े बड़े अति-आधुनिक होटल एवं रेस्तरां हैं, जहां अंग्रेजी, चीनी व भारतीय भोजन आसानी से सुलभ है। मारीशस में खाने−पीने की हर चीज बहुत महंगी हैं क्योंकि यहां घी, दूध, मक्खन, सब्जियां, अनाज, कपड़े आदि सब कुछ विदेशों से आयात किया जाता है। यहां ज्यादातर खाने की वस्तुएं दक्षिण अफ्रीका से तथा कपड़े व गहने भारत, जापान और कोरिया से आयात किए जाते हैं। समुद्री खेलों के शौकीन खिलाडिय़ों के लिए मारीशस सबसे उपयुक्त जगह है क्योंकि वर्ष भर यहां का मौसम खेलों के लिए बेहतर बना रहता है। आजकल समुद्री खेलों को और अधिक लोकप्रिय व सुविधाजनक बनाने के लिए मारीशस सरकार इस ओर विशेष ध्यान भी दे रही है। मारीशस जाने वाले सैलानी यहां की महिलाओं के हाथ के बने शंख, समुद्री सीप और मोती की मालाएं और हस्तकला की अनेक वस्तुओं को बड़े चाव से खरीदते हैं। तो आप भी जब यहां जाएं तो इन्हें खरीदना नहीं भूलें।
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