अब लाड़लियों को लक्ष्मी के बजाय प्रमाण-पत्र
डॉ. अरूण जैन
प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के मुखिया के शासन की सबसे बड़ी उपलब्धि राज्य सरकार द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत पोस्ट आफिस की एनएससी दी जाती थी अब उसकी जगह केवल एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा, यही नहीं अभी तक जिन लाड़लियों को यह एनएससी प्रदान की गई है वह वापस मंगाई जा रही है और उसकी वजह एनससी जारी की जा रही है कुल मिलाकर राज्य सरकार ने जो लाड़ली लक्ष्मी के नाम पर अपने हितैषी होने का ढिंढोरा पीट रखा था अब वह राज्य के खजाने की कंगाली के हालत को देखते हुए अब उसमें बदलाव कर दिया गया। इससे प्रदेश की लाड़लियों को भविष्य में यह गारंटी नहीं है कि अब उनको 18 वर्ष की उम्र पूरी करने पर इस योजना के अन्तर्गत मिलने वाला एक लाख 38 हजार के लगभग मिलने वाली राशि मिल ही जाएगी, क्योंकि भविष्य किसी को देखकर नहीं आता यदि यह सरकार भविष्य में रही या नहीं इसके लोकतंत्र में कोई गारंटी नहीं है, भगवान न करे कि लोकतंत्र का एक दिन का राजा इस सरकार को पलट दे और प्रदेश में कोई दूसरी सरकार आ जाए और वह इस योजना को एक झटके में बंद करने की सोच ले तो अभी तक मिली लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत प्रदेश की उन लाड़लियों को एक नया पैसा भी नहीं मिलने की संभावनाएं भी प्रबल हैं, क्योंकि आज राज्य की जो आर्थिक स्थिति है हो सकता है कि वह कल भी नहीं सुधरे और राज्य कंगाली के दौर में हो तो फिर यह राशि जिन लाड़लियों को यह सरकार एनससी की बजाय खाली प्रमाण पत्र दे रही है, उसकी राशि मिलेगी कि नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है, अभी तक राज्य सरकार द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत हुए नये बदलाव में अब विभाग लाड़लियों को प्रमाण पत्र जारी करेगा सारी जानकारी आनलाइन दर्ज की जाएगी प्रमाण पत्र जारी होने के बाद छठवीं कक्षा से लाड़लियों को राशि मिलनी शुरू हो जाएगी छठवीं में प्रवेश लेने के साथ ही लाड़ली के खाते में दो हजार रुपये जमा कर दिये जायेंगे इसी तरह नौवीं कक्षा में पहुंचने के बाद चार हजार रुपये जमा कर दिये जायेंगे 11वीं और 12वीं में छ:-छ: हजार रुपये दिये जायेंगे इसके बाद 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद यदि उसका विवाह 21 साल तक नहीं होता तो उसे शासन की तरफ से एक लाख 18 हजार रुपये मिलेंगे। इसके साथ ही यह शर्त भी है कि लड़की की उम्र 21 साल होनी चाहिए और वह कम से कम हाईस्कूल की परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए, मध्यप्रदेश की वर्तमान कानून व्यवस्था को देखते हुए जिसके चलते राज्य में प्रतिदिन नाबालिगों के साथ बलात्कार की घटनाएं घट रही हैं उनसे चिंतित हर लाड़ली का परिजन रहता है और वह ऐसे माहौल में अपनी बच्ची को कम से कम ग्रामीण क्षेत्रों में तो 21 साल तक शादी न करने के पक्ष में नहीं रहता है जैसा कि वर्तमान में प्रदेश का माहौल है हर लाड़ली का पालक अपनी बच्ची के हाथ जल्दी से जल्दी पीले करने के पक्ष में रहता है। इस भय के वातावरण के चलते बच्चियों की शादी 21 साल से पहले ही कर दी जाती है। तो वहीं मध्यप्रदेश सरकार की जिस तरह से संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों की कटौती का माहौल बन रहा है जिसके चलते स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी की व्यवस्था कराने में यह सरकार पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है और यह सब व्यवस्थायें निजी हाथों में सौंपे जाने की तैयारी कर रही है तो वहीं शिक्षा के मामले में भी सरकारी सूत्रों से जो खबरे पिछले दिनों समाचार पत्रों की सुर्खियां रही जिसके अंतर्गत 90 प्रतिशत सरकारी शिक्षण संस्थाएं सरकार बंद करने की ओर कदम बड़ा रही है, यदि यही स्थिति रही तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शाला की तो बात छोडि़ए हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल तक सरकारी खुले नजर नहीं आएंगे और इनका स्थान ले लेंगी निजी शिक्षण संस्थाएं। जैसी की सरकार की योजना है कि यदि यह योजना कार्य रूप में परिणित हो गई तो प्रदेश के लाखों लड़लियां शिक्षा से वंचित हो जाएंगी और प्रदेश में जिस तरह का भय का वातावरण नजर आ रहा है उसके चलते कोई भी पालक अपनी बच्ची को कम से कम ग्रामीण क्षेत्रों में लम्बी दूरी तय करके पढ़ाने के पक्ष में नहीं रहेगा। इस स्कीम के लागू होते ही अब लाड़लियां भी पढ़ाई से वंचित हो जाएंगी तो ऐसे में सरकार की इस योजना के अन्तर्गत जो नियम निर्धारित किये गये उसके अनुसार वह 9वीं और 11वीं तक अध्ययन जारी रख पाएगी या नहीं यह भी संभावनाएं नजर आ रही हैं, कुल मिलाकर सरकार की इस योजना के चलते प्रदेश की लाड़लियों को अब सरकार द्वारा दी जानेवाली लक्ष्मी मिलने पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वैसे इस योजना से यह साफ जाहिर होता है कि सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना खटाई में जाती नजर आ रही है। पता नहीं इसके बाद और कितनी योजनाओं पर सरकार परिवर्तन करके उन्हें धीरे-धीरे बंद करने की तैयारी करेगी जिसको लेकर आज वह वाहवाही लूटने में लगे हैं।
No comments:
Post a Comment