Tuesday, 15 August 2017

सिंधिया का कद बढऩे की खबर से कांग्रेस में खेमेबंदी शुरू

डॉ. अरूण जैन
जब से ये खबर सामने आई है कि सिंधिया लोकसभा में पार्टी के नेता बनने के प्रबल दावेदार हैं तब से पार्टी के भीतर दो खेमे सक्रिय हो गए हैं. एक खेमा वो है जो राहुल गांधी के काफी करीब है और दूसरा खेमा वो है जो सोनिया के करीब है, लेकिन भविष्य की टीम राहुल में जगह मिलने को लेकर आश्वस्त नहीं है.
सिंधिया का नाम आने की खबर के बाद राहुल के करीबियों का मानना है कि राहुल के लोकसभा सांसद रहते उनके हमउम्र और तेज तर्रार सिंधिया को नेता बनाना मुफीद नहीं होगा. इससे राहुल के कद पर असर पड़ सकता है. इस खेमे का मानना है कि राहुल को हर मोर्चे पर फ्रंट से लीड करते हुए नजर आना चाहिए. इसलिए उन्हीं को पहले लोकसभा में पार्टी का नेता बनना चाहिए. इससे उनको अनुभव भी मिलेगा और उन्हीं को पार्टी का अध्यक्ष बनना चाहिए. इस खेमे के तर्क है कि, सोनिया भी पार्टी अध्यक्ष रहते हुए वाजपेयी सरकार के दौरान लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं. कांग्रेस का दूसरा खेमा एक अलग खिचड़ी पकाने में जुट गया है. सोनिया के वो करीबी जो राहुल की टीम से बाहर हो सकते हैं उनकी अलग ही गणित है. उनकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा वक्त सोनिया को ही पार्टी अध्यक्ष बनाये रखने की है. इसलिए इस खेमे की कोशिश है कि राहुल ही लोकसभा में पार्टी के नेता बन जाएं जिससे एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत मानने की बात करने वाले राहुल खुद ही कुछ और दिन पार्टी अध्यक्ष पद से दूर हो जाएंगे और सोनिया कुछ दिन और अध्यक्ष बनीं रह जाएंगी. इस खेमे का यह भी तर्क है कि सोनिया के अध्यक्ष रहने से उनकी वरिष्ठता और कद महागठबंधन बनाने में ज्यादा सहायक होगी. दरअसल, 2014 की लोकसभा चुनाव की हार के बाद एक भी चुनाव ऐसा नहीं है जो पार्टी ने जीता हो और जिसका सेहरा राहुल गांधी के सिर पर बांधा जाए. सूत्रों के मुताबिक इन दोनों की एक बात पर सहमति है कि सिंधिया को पार्टी महासचिव बना दिया जाए और मध्यप्रदेश से ही महासचिव कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भेज दिया जाए, जिस पर कमलनाथ की भी सहमति है. कांग्रेस में घोषणा से पहले नाम लीक हो जाने, बाहर आने और उसको रोकने के लिए तमाम खेमे सक्रिय हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही सिंधिया के मामले में भी होता नजर आ रहा है. लेकिन, सोनिया तकरीबन मन बना चुकी हैं. अब तो बस राहुल की मुहर लगनी है. ऐसे में कोशिश राहुल से वीटो लगवाने की है. जो फिलहाल तो मुश्किल ही लगता है. लेकिन जब तक घोषणा नहीं होती तब तक बेहाल कांग्रेस में हलचल तो मची रहने वाली है.

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