धूल भरे गुबार में होगा क्या सिंहस्थ !
अरूण जैन
सिर पटक- पटक कर मर जाओ, पर अधिकारी सिस्टेमेटिक काम नही करेंगे। काम हो रहे हैं, पर उनका लाभ इसलिए नही मिल रहा क्योंकि जुड़े हुए छोटे-छोटे काम पूरे नहीं हो रहे है। सिंहस्थ को किस प्रकार से करना चाहते हैं यह शायद सरकार में बैठे किसी भी जनप्रतिनिधि को नही समझ आ रहा! आखिर कौन जिम्मेदारी लेगा व्यवस्थित कामकाज की ?
बड़े-बड़े कामों पर ही नजर डालें तो जीरो पाइंट ओवरब्रिज के पहुंच मार्ग काम मंथर गति से चल रहा है। यह सिंहस्थ का सबसे जरूरी ओवरब्रिज है। जयसिंहपुरा सड़क मार्ग देखें तो यह महत्वपूर्ण पड़ाव स्थल है, पर इसके उबड़-खाबड़ पन का भगवान मालिक है। कई जगह तो इतना उॅंचा-नीचा और गढ्ढे हैं कि दुर्घटनाएं अवश्यम्भावी है। कुछ सड़क मार्ग अभी भी अधूरा है। वाकणकर ब्रिज और शांतिपैलेस के समीप के ओवरब्रिज के पहुंच मार्ग के छोटे-छोटे टुकड़े बचे हुए है। कोई उन्हें पूरे करने नहीं जा रहा ।
मंगलनाथ-सिद्धवट और आयुर्वेद कालेज वाली सड़के भी धूल चाट रही है। ये सभी जरूरी पड़ाव स्थल हैं । पड़ाव स्थलो पर शौचालय निर्माण, समतलीकरण बहुत सुस्त स्थिति में चल रहा है। निम्नस्तरीय भी है। मानकर चलिए यह पैसा तो पानी में बहाया जा रहा है । मेरा मानना है कि अधिकारियों को अभय दान देने की बातें करना फिजूल हैं। एक केन्द्रीय व्यक्ति सिलसिलेवार काम देखें प्रतिदिन और उन्हे क्रम से पूरे करवाए अन्यथा धूल के गुबार भरा सिंहस्थ ही होगा ।
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