मप्र के हर नागरिक पर 14000 का कर्ज है
आप कितने भी निश्चिंत हों कि आपने अपनी जिंदगी में कभी किसी से चवन्नी का कर्जा नहीं लिया फिर भी यदि आप मप्र के नागरिक हैं तो आपके सिर पर 14 हजार रुपए का कर्ज है और यह आपको चुकाना होगा। फर्क बस इतना है कि इसके लिए आपको ईएमआई नहीं भरनी पड़ेगी बल्कि शिवराज सिंह सरकार इंडायरेक्ट टैक्स बढ़ाकर आपसे वसूल लेगी। यह वसूली अभी भी जारी है। पेट्रोल/डीजल समेत कई चीजों पर लगा अतिरिक्त टैक्स, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए ही आम जनता को भरना पड़ रहा है। फिर भी कर्जा कम नहीं हुआ। बल्कि बढ़कर 13 हजार 853 रुपए प्रतिव्यक्ति हो गया। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत को लिखित जवाब में बताया कि मार्च 2016 तक सरकार पर कर्ज 1 लाख 11 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा था। मार्च 2017 तक कर्ज बढ़कर डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकता है। लगातार बढ़ता जा रहा है कर्ज का बोझ प्रदेश के ऊपर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। 31 मार्च 2014 में सरकार के ऊपर 77 हजार 413 करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज था। ये 31 मार्च 2015 में बढ़कर 94 हजार 979 करोड़ रुपए हो गया। इसमें शिवराज सिंह से क्या वास्ता मप्र में जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे तब प्रदेश पर कर्जा ना के बराबर था परंतु प्रदेश भर में हुए तमाम उपचुनावों में सीएम शिवराज सिंह ने उनके इलाकों को अरबों रुपए के विशेष पैकेज जारी किए। थोड़े बहुत विकास कार्य हुए। फायदा ठेकेदारों को हुआ और कर्जा जनता के सिर चढ़ गया। मजेदार बात तो यह है कि बात बात पर जनता से सवाल पूछने वाले सीएम शिवराज सिंह ने कभी जनता से यह नहीं पूछा कि शहडोल का उपचुनाव जीतने के लिए मैं 200 करोड़ का कर्जा लेने जा रहा हूं, जो आपको टैक्स के माध्यम से चुकाना होगा, क्या मप्र की 6 करोड़ जनता को मंजूर है।
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