डाॅ. अरूण जैन
भाजपा में पूरे मध्यप्रदेश पर एकक्षत्र राज कर रहे सीएम शिवराज सिंह चौहान एवं नंदकुमार सिंह चौहान के हाथ से गुना, छिंदवाड़ा और झाबुआ छीन ली गईं हैं। इन तीनों सीटों के सभी फैसले अमित शाह डायरेक्ट करेंगे एवं उप्र के परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र देव सिंह उनके प्रतिनिधि के तौर पर तीनों लोकसभा सीटों पर काम करेंगे। स्वभाविक है यह फैसला केवल लोकसभा 2019 तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका असर 2018 की विधानसभा पर भी पड़ेगा। आरोप है कि कमलनाथ ने एक बार बुरे वक्त में शिवराज की काफी मदद की थी। कांतिलाल भूरिया पर तो शिवराज से मिली भगत का खुला आरोप लग ही चुका है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति शिवराज का चुनाव के दौरान अचानक नरम रुख हो जाता है। अत: शाह ने तय किया है कि अब वो सीधे तीनों सीटों पर काम देखेंगे। स्वतंत्र देव सिंह इसी तैयारी के सिलसिले में 1 सितंबर को भोपाल आ रहे हैं।
स्वतंत्र देव सिंह उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों हुए चुनावों के बाद पहली बार मंत्री बने थे। उनको भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है। उप्र के बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे स्वतंत्र देव सिंह मप्र में कांग्रेस के कब्जे वाली गुना, छिंदवाड़ा और झाबुआ लोकसभा सीट हथियाने के लिए काम करेंगे। गौरतलब है कि भाजपा ने कई राज्यों के मंत्रियों को कांग्रेस के कब्जे वाली अलग-अलग सीटों का प्रभारी बनाया है, इन मंत्रियों की जिम्मेदारी है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां भाजपा को जीत दिलाएं। पिछले दिनों मप्र के दौरे पर आए अमित शाह ने भाजपा संगठन को साफ कर दिया था कि किसी भी कीमत पर कांग्रेस के कब्जे वाली छिंदवाड़ा, गुना और झाबुआ सीट पर जीत चाहिए। शाह इन सीटों पर भाजपा की तैयारियों की खुद मॉनीटरिंग भी करेंगे। भाजपा अभी से इन सीटों पर तैयारियां शुरू कर रही है। एडजस्ट करने वाले नेताओं से बनाई जाएगी दूरी सूत्रों के मुताबिक इन सीटों पर भाजपा के उन नेताओं को कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी, जो कांग्रेस के साथ सामंजस्य बैठाकर राजनीति करते हैं। इसके संकेत अमित शाह ने यह कहते हुए भी दिए थे कि एडजस्टमेंट वाली राजनीति नहीं चलेगी। अब तक कांग्रेस और भाजपा नेता इन क्षेत्रों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने-अपने हिसाब से वोटों का एडजस्टमेंट करते थे। इससे कांग्रेस को लोकसभा में और भाजपा को विधानसभा चुनावों में फायदा होता था। सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य अमित शाह ने प्रदेश संगठन को अगले लोकसभा चुनावों में सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है। मप्र में अभी 26 लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में है और 3 सीटें कांग्रेस के पास हैं।
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