अरूण जैन
अभिनेता इरफान खान का कहना है कि उन्हें पहली बार 16 साल की उम्र में प्यार हुआ और उस समय वह खुद को बॉलीवुड के किसी हीरो से कम नहीं मानते थे। पेश है इरफान से हुई बातचीत के अंश। या कभी आपकी जिंदगी में कोई ऐसा इंसान आया, जिससे आपको अनोखा प्यार हुआ हो?हां, जयपुर में एक लड़की पर मेरा दिल आया था। उस वक्त मैं करीब 16 साल का था। वह हमारे दूध वाले की बेटी थी और उसके कारण मैं रोज सुबह उठकर दूध लेने जाता था, ताकि उसकी झलक देखने को मिल जाए। वह भी मुझे देखकर मुस्कराया करती थी। एक दिन उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया। मुझे लगा कि आज कुछ होने वाला है लेकिन उसने मुझे कॉपी में रखकर एक चि_ी दी और हमारे ही बाजू में रहने वाले एक लड़के को देने के लिए कहा। उस वक्त मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूं लेकिन मैं भी खुद को हीरो समझकर अपने प्यार की कुर्बानी देकर उसे उसका प्यार दिलवाने में लग गया। वह मेरे घर आती और हम दोनों छुपम-छुपाई खेलते। वह पल मेरे लिए जन्नत जैसे होते थे लेकिन एक दिन मेरे चाचा के बेटे ने मुझसे कहा कि आज उसने भी उसके साथ छुपम-छुपाई खेली। बस मेरा दिल टूट गया। मुझे लगा कि उसने मुझे धोखा दिया है और मैंने बिना उससे कुछ कहे अपने मन में उससे ब्रेकअप कर लिया। मुझे याद है कि उस दौरान मैंने दर्द में डूबे हुए हीरो की तरह दो या तीन हफ्तों तक लगातार मुकेश के दर्द भरे गाने सुने थे। कई दिनों तक वह मुझसे बात करने की कोशिश करती रही पर मैं नहीं माना। तो क्या आज भी आप सुख या दुख में उसी तरह बॉलीवुड के गाने सुनते हैं? हां, आज भी मेरे साथ ऐसा ही होता है। मैं जब भी कोई गाना सुनता हूं तो लगता है कि वह मेरे लिए बना है। खासकर जब रेडियो पर कोई पुराना गाना बजता है तो जिंदगी से जुड़े वो सभी लोग याद आते हैं, जो किसी जमाने में मेरे करीब हुआ करते थे। मैं बहुत ही फिल्मी टाइप का इंसान हूं। मैं जब भी कोई फिल्म देखता हूं तो उस हीरो से न जाने क्यों अपनी तुलना करने लगता हूं। मुझे लगता है कि वह सब मेरे साथ भी हो चुका है। फिल्मों से फ्री होकर आप क्या करते हैं। कैसे अपनी छुट्टियों को एंजॉय करते हैं?मुझे जब भी समय मिलता है , मैं घूमने निकल पड़ता हूं। मैं बहुत ही ज्यादा घुमक्कड़ी हूं। अगर छुट्टी कम दिन की होती है तो मैं हरिद्वार या फिर ऋषिकेश निकल जाता हूं। वहां पर न जाने क्यों मुझे अजीब सी शांति मिलती है। मुझे लगता है कि एक कलाकार के लिए एक किरदार या फिर एक जोन से निकलने के लिए दूसरे जोन में जाने के लिए समय चाहिए होता है और एक ऐसा स्थान चाहिए होता है जहां पर वह खुद को समय दे सके, इसलिए मैं भी कोशिश करता हूं कि खुद को समय दूं और जिंदगी को अपनी मर्जी से जी लूं। आपने अपने अभी तक के सफर में बहुत कुछ सहा है। कुछ ऐसी बातें, जो आपको आज भी याद हों या तो आपके शुरुआती दौर से जुड़ी हुई हों?हर किसी की जिंदगी में एक सपना होता है, जिसे वह सच करना चाहता है। उसे लगता है कि अगर ये सपना पूरा नहीं हुआ तो उसकी जिंदगी बेकार है तो इसी की वजह से मैं यहां पर आया। मेरा नेगेटिव प्वॉइंट ये था कि मैं हमेशा से ही बहुत शर्मीला रहा हूं और मुंबई में आने के बाद मुझे लोगों से ये कहने में शर्म आती थी कि मैं एक्टर हूं। मुझे काम चाहिए। कई बार मुझे बहुत शर्मिदंगी भी उठानी पड़ी। मुझे लगता है कि जिंदगी ने मुझे बहुत टेस्ट करने के बाद ही सबकुछ दिया है। मुझे कुछ भी आसानी से नहीं मिला। मुझे लगता था कि एनएसडी से कोर्स करने के बाद सब कुछ आसान हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है। यहां किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने टीवी पर काम किया फिर फिल्में करने का शौक था तो फिल्मों में आया। काफी इंतजार करना पड़ा लेकिन भगवान की दया से मुझे हमेशा काम मिलता रहा।
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