तंत्र से नहीं होता किसी का अनिष्ट: कापालिक बाबा
डॉ. अरूण जैन
कापालिक महाकाल भैरवानंद सरस्वती ने गुप्त नवरात्रि को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी साधकों को सलाह दी है है कि वे प्रतिदिन नियमित रूप से मां की आराधना करें, संभव हो तो अन्न ग्रहण न करें। साथ ही यदि हवन भी कर सके तो उत्तम होगा। आपने कहा कि यह एकदम मिथ्या-भ्रांति है कि गुप्त नवरात्रि में किसी अनिष्ट विशेष के लिए तंत्र साधना की जाती है। ऐसी कोई भी तंत्र साधना अथवा क्रिया नहीं होती ।
कापालिक बाबा ने गुप्त नवरात्रि के संदर्भ में इस प्रतिनिधि से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष में चार नवरत्रियां होती है जो हर तीन माह में आती है। जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि कहलाती है और दो सार्वजनिक नवरत्रि होती है लेकिन चारों ही नवरात्रियों में साधना की क्रियाएं एक ही होती है। साधक चाहे तो 9 दिन व्रत रख सकता है। यदि 9 दिन केवल फलाहार पर रहा जाए तो उत्तम है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि अन्न खाने वाला साधना नहीं कर सकता। साधक को प्रतिदिन सबेरे नहा-धोकर मां की आराधना करना चाहिए। इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ आवयक रूप से करना चाहिए। इसके एक अध्याय का पाठ भी रोज किया जा सकता है अथवा पूरी दूर्गा सप्तशती भी प्रतिदिन पूरी की जा सकती है। इसके लिए कोई निर्धारित पैमाना नहीं है।
गुप्त नवरात्रि में कई तांत्रिकों द्वारा काले जादू के नाम से साधना की जाती है, इस प्रश्न पर कापालिक बाबा ने कहा कि ऐसी कोई साधना नहीं होती। कुछ लुच्चे-लफंगे किस्म के जो लोग तंत्र साधना के नाम पर व्यापार कर रहे है वे लोगों को इस दिशा में भरमाते है। ऐसी कोई भी साधना नहीं होती। साधना एक सामान्य आदमी द्वारा किस प्रकार की जाए, इस प्रश्न के उत्तर में कापालिक बाबा ने कहा कि जब व्यक्ति अपनी प्रातः की नित्य पूजा करता है तभी कम से कम 5 माला एक मंत्र की की जाना चाहिए। आपने कहा कि ये मंत्र है- ओम, एं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्छै । जरूरी नहीं है कि पांच माला जपी जाए, साधक समय और श्रद्धा के अनुरूप जितना चाहे इस मंत्र का जाप कर सकता है। इस जाप के समय मां के चित्र के सामने दीप जरूर जलना चाहिए और बैठने का आसन उन या घास का होना चाहिए। साधक अपना चेहरा पूर्व में या उत्तर में रखे। आपने कहा कि इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल सकता है। माता के चित्र के समक्ष संध्या अथवा रात्रि को 10 से 15 मिनट हवन अवश्य करना चाहिए। तंत्र साधना को लेकर फैली भ्रांतियों का जिक्र करते हुए बाबा ने कहा कि कुछ ऐसे लोग जिन्हें तंत्र विद्या का रत्ती भर भी ज्ञान नहीं है, वे ही इन्हें जिंदा रखे हुए है लेकिन सामान्य जन को इससे भयभीत होने की आवश्यकता नही है। मूठ मारना, तंत्र क्रिया से फूंक मारना और किसी व्यक्ति विशेष्ज्ञ का अनिष्ट करना संभव ही नहीं है ये सब लोगों की धार्मिक आस्थाओं को ठगने का प्रयास है। लोगों को इससे बचना चाहिए। एक प्रश्न के उत्तर में आपने कहा कि गुप्त और सार्वजनिक नवरात्रियों में केवल इतना भर अंतर है कि बाद की नवरात्रियों पर समारोह किए जाते है।
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