जलती चिता पर सेंकी रोटियां और भूने आलू
कापालिक महाकाल भैरवानंद सरस्वती ने बीती रात चक्रतीर्थ श्मशान पर मां काली की अनूठी आराधना की। जागृत चिता के समक्ष मंत्रोच्चार पूजा, प्रसादी निर्माण, भोग अर्पण और उज्जैन सिंहस्थ के लिए शांतिपूर्ण माहौल की प्रार्थना माता से की गई। शव साधना का यह अनोखा दृष्य था। जिस समय बाबा श्मशान पर साधना करने के लिए पहुंचे, उसी दौरान एक शव लेकर कुछ लोग वहां आ गए। हालांकि बाबा ने उस शव पर साधना नहीं की, अलबत्ता प्रज्जवलित हो रही एक चिता पर उन्होंने अपनी साधना प्रारंभ कर दी। लगभग 4 घंटे तक वे साधनारत रहे । इस दौरान चक्रतीर्थ पर कई लोग एकत्रित हो गए।
शाम 6 बजे: कापालिक बाबा अंगारेश्वर महादेव के दर्शन के पश्चात अपनी कार में बैठे और अचानक आदेश हुवा चक्रतीर्थ श्मशान पर चलो। 15 मिनिट में चक्रतीर्थ के उपरी भाग पर स्थित शिव मंदिर जा पहुंचे। फिर आदेश हुवा-दिए, तेल, गेंहू का आटा, आलू, मसाले, फूल और अन्य सामग्री मंगाओ। तुरन्त पालन हुवा। समझ नही आ रहा था कि इन सबका क्या होगा ?
संध्या 7 बजे: बाबा एक खाली चिता स्थल पर जा बैठे। संकेत पर उनके शरीर से सारे वस्त्र उतारे गए। निर्वस्त्र कापालिक महाकाल ध्यान की मुद्रा में आलथी-पालथी मारकर बैठे। ठीक सामने एक चिता जागृत थी। इशारे से जागृत चिता की भस्म उठाकर शिष्यों ने बाबा के पूरे शरीर पर मली। और फिर शुरू हो गई मंत्रोच्चार के साथ मां काली की आराधना। मरघट में मंत्रों की आवाज अंधेरे में गूंज रही थी और सामने चिता धूं-धूं कर प्रज्जवलित थी। बाबा ने मंत्रोच्चार के साथ जल छिड़काव, मंदिरा छिड़काव किया। इसके पूर्व पांच दीप प्रज्जवलित कर चिता के चारों कोनों पर रख दिए गए थे। एक दीप मानव खोपड़ी के समक्ष प्रज्ज्वलित था। एक घंटे से अधिक समय तक जागृत चिता पर साधना चलती रही
रात्रि 8.30 बजे: आराधना पूरी कर बाबा ने जागृत चिता में, लाए हुए आलू भूनने के निर्देश दिए। चिता के अंगारो में आलू बूर दिए गए। फिर आटा गूंथने और टिक्कड़ बनाने के आदेश हुए। शिष्यों ने जैसे ही टिक्कड़ तैयार किए उन्हें जलती चिता पर सेंकने को कहा गया। आधे घंटे बाद आलू भुन चुके थे, टिक्कड सिक चुके थे। आलू छीलकर चूरा कर मसाला मिलाया गया और टिक्कड़ के साथ पूजा की थाल में रखकर मां काली का स्मरण करते हुए बाबा ने जागृत चिता में आहूति डाली। मां को भोग लगाने के बाद वही प्रसादी उपस्थित उन सैकड़ो भक्तों को भी दी गई जो पूजा आराधना देखने के लिए अब तक एकत्र हो चुके थे।
रात्रि 10.00 बजे: बाबा ने जागृत चिता के समक्ष स्वयं प्रसादी ग्रहण की। उसके बाद जागृत चिता की विधिवत परिक्रमा की गई और उसके समक्ष शीश नवाकर मां काली से सिंहस्थ में सुख-शांति की प्रार्थना की। आराधना पूरी होने पर बाबा ने अपने काले वस्त्र पुनः धारण किए और चक्रतीर्थ से वापस रवाना हो गए।
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