Tuesday 10 July 2018

जब 42 की उम्र में शादी कर चर्चा में आई यह एक्ट्रेस


डाॅ. अरूण जैन
मेरी खुशियों का समंदर मेरे पिनकोड का नंबर, आज से तेरा हो गया...
यह गीत गुनगुनाते हुए अपने पैडमैन यानी लक्ष्मी प्रसाद चौहान, यानी खिलाड़ी अक्षय कुमार अपनी दुल्हनियां गायत्री यानी राधिका आप्टे को घर ले आते हैं। एक रोज उन्हें पता लगता है कि 'उन दिनोंÓ के चलते गायत्री कुछ दिन तक सबसे दूर घर के एक अंधेरे कोने में रहेगी। सबके मना करने के बावजूद वह उस कोने में पहुंच जाते हैं और पाते हैं कि गायत्री एक गंदे कपड़े को अपनी साड़ी के नीचे फैलाकर सुखा रही है। इतना गंदा कपड़ा, जिससे वह अपनी साइकिल भी साफ न करें! यह देख लक्ष्मी के साथ ही हम भी बेचैन हो उठते हैं। और लक्ष्मी तुरंत ही मेडिकल स्टोर पहुंच जाते हैं सैनिटरी नैपकिन खरीदने। नैपकिन काफी महंगा होता है। गायत्री इतनी महंगी चीज इस्तेमाल करने से मना कर देती है। और लक्ष्मी इस ख्याल में डूब जाते हैं, कि आखिर इतनी हल्की चीज की कीमत इतनी भारी क्यों है? वह तय करते हैं कि खुद ही सैनिटरी नैपकिन बनाएंगे। कुछ अटपटे प्रयोग करते हैं पर सफल नहीं होते। उनकी पत्नी, उनका परिवार, समाज- सब उनके खिलाफ हो जाता है और उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ता है। फिर एक दिन कुछ ऐसा होता है कि वह तय करते हैं कि वह सैनिटरी नैपकिन नहीं, बल्कि सैनिटरी नैपकिन बनाने की मशीन बनाएंगे। एक आठवीं पास इंसान की इसी जद्दोजहद की कहानी है पैडमैन। कुल मिलाकर माहवारी जैसे विषय को लेकर फिल्म बनाने की हिम्मत जुटाने के लिए इसके निर्माता-निर्देशक की तारीफ होनी चाहिए। यह सच है कि कई बार बड़े फिल्मी सितारों को लेकर अहम मुद्दों-समस्याओं पर फिल्म बनाना उन्हें लेकर जागरूकता फैलाने का सबसे माकूल जरिया होता है। आज भी गांव-कस्बों में माहवारी को लेकर जो मिथक हैं, उन्हें तोडऩे की मुहिम में यह फिल्म एक बड़ा कदम हो सकती है। हालांकि इस विषय को उठाने वाली यह पहली हिंदी फिल्म नहीं है। इससे पहले पिछले साल हम 'फुल्लूÓ के रूप में इसी कहानी पर बनी एक दूसरी फिल्म देख चुके हैंं। साथ ही इस विषय पर 'आई पैडÓ नामक एक फिल्म भी बनी थी जो किन्हीं कारणों से रिलीज नहीं हो सकी। आर. बाल्की जैसे निर्देशक और अक्षय कुमार-सोनम कपूर जैसे सितारों की मौजूदगी की वजह से इस फिल्म को एक बड़ा कैनवस मिल गया। जाहिर है इसे देखने बड़ी संख्या में लोग जाएंगे और जाना भी चाहिए। पी. सी. श्रीराम की सिनेमैटोग्राफी की जितनी तारीफ की जाए, कम होगी। मध्य प्रदेश के किलों, नर्मदा घाट और गलियों को जिस बारीकी से कैमरे में कैद किया गया है, उसे देखकर बहुत सारे लोग यहां के टूर का प्लान बना सकते हैं। पर... फिल्म की अपनी खामियां भी हैं। एक ऐसी फिल्म जिसका मुख्य किरदार दक्षिण भारतीय है, जिसमें दक्षिण भारत के ऋतु कला संस्कारम (किसी लड़की की माहवारी शुरू होने पर मनाया जाने वाला उत्सव) जैसे रिवाज दिखाए गए हैं, उसे मध्य प्रदेश की जगह अगर दक्षिण भारत में ही कहीं फिल्माया जाता, तो यह ज्यादा विश्वसनीय लगता। बहुत संभालने के बावजूद इसका उपदेशात्मक पक्ष थोड़ा ज्यादा हो गया है। कुछ चीजें और खटकती हैं, जैसे एक दृश्य में अक्षय कुमार आधी रात को अपने पड़ोसी की 13-14 साल की लड़की के कमरे की खिड़की पर चोरी-छुपे चढ़ते हैं और उसे अपने बनाए सैनिटरी नैपकिन देते हैं, जिस पर उन्हें गालियां पड़ती हैं। भाई, आपका मकसद कितना भी पाकसाफ हो, इस हरकत पर तो कोई खुले विचारों का पड़ोसी भी ऐसा ही बर्ताव करेगा। एक और बात, आठवीं पास लक्ष्मी जिसे पीरियड्स के बारे में शादी होने के बाद ही पता लगता है, वह पीरियड के लिए इस्तेमाल होने वाले अति शहरी शब्द 'चम्सÓ से अच्छी तरह परिचित है, यह बात चौंकाती है। अक्षय कुमार का डायलॉग डिलिवरी का अंदाज टॉयलेट एक प्रेमकथा वाला ही है। अपने अंदर के स्त्री पक्ष को महसूस कर रहे एक पुरुष और 'सुप्परहीरोÓ अक्षय कुमार के बीच अच्छी-खासी रस्साकशी चलती है। राधिका आप्टे अपने किरदार में पूरी तरह रच-बस गई हैं, पर... उनका यह लजाती हुई ग्रामीण महिला वाला अंदाज हम पाच्र्ड और मांझी दि माउंटेन मैन में भी देख चुके हैं। फिल्म में वह इतनी बार शर्म से मरने की बात कहती हैं कि न चाहते हुए भी हम भी अपने मन को एकाध बार शर्मिंदा होने के लिए मना ही लेते हैं। एक लाइन में कहें तो,'मेलोड्रामा थोड़ा ओवर हो गया।Ó राधिका कमाल की एक्ट्रेस हैं और इससे पहले कि लोग उन्हें टाइप्ड कहने लगें, उन्हें अब कुछ अलग किस्म के रोल निभाने चाहिए। और अब, बात परी वालिया, यानी सोनम कपूर की। साउथ दिल्ली की एक मॉडर्न लड़की के किरदार में परी ही तो लगी हैं सोनम। वह खूबसूरत परी जो पैडमैन को उडऩा सिखाती है। उनके एंट्री मारते ही गंभीरता और संदेश के वजन से झुक रही फिल्म ताजी हवा की तरह बहने लगती है। उनके और अक्षय कुमार के बीच का प्यार शुरुआत में प्लैटॉनिक रहता है, और बाद में खालिस बॉलीवुड रोमांस के रंग में ढल जाता है। गीत-संगीत की बात करें तो अरिजित के 'आज से तेरीÓ गीत के अलावा मीका का गाया 'सुप्परहीरोÓ गीत भी जुबान पर चढऩे वाला है।

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