डाॅ. अरूण जैन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश के 8 जिलों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। अब यहां के कलेक्टर सीएम के साथ साथ पीएम को भी रिपोर्ट करेंगे। केंद्र में बैठे आईएएस अफसर प्रतिदिन जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे एवं जिलों में चल रहे कामकाज की समीक्षा के साथ साथ उचित निर्देश भी देंगे। अफसरों के काम में स्थानीय नेता टांग ना अड़ा पाएं इसलिए 6 केंद्रीय मंत्रियों को काम पर लगाया गया है। वो स्थानीय नेताओं के संपर्क में रहेंगे। जनता की मांगों का अध्ययन करेंगे एवं सुनिश्चित करेंगे कि इन जिलों में वो सबकुछ हो जो नरेंद्र मोदी चाहते हैं। मप्र के 8 जिलों में 2-2 प्रभारी मंत्री नीति आयोग ने तय किया है कि पिछड़े जिलों की रैकिंग हर माह की जाएगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पिछले माह अपने प्रभार के जिले की बैठक भी कर चुकी हैं। नीति आयोग ने मध्यप्रदेश के उन सांसदों को जिले आवंटित किए हैं जो केन्द्र में मंत्री है। इनमें सुषमा स्वराज को विदिशा, नरेंद्र सिंह तोमर को गुना, थावरचंद गहलोत को राजगढ़, प्रकाश जावड़ेकर को बड़वानी एवं खंडवा, एमजे अकबर को सिंगरौली डॉ.वीरेन्द्र कुमार दमोह और छतरपुर जिले का प्रभारी बनाया है। 8 जिलों में कलेक्टर के ऊपर एक और ढ्ढ्रस् उधर, एमपी कॉडर के भारत सरकार में पदस्थ आईएएस अफसरों में अनिल जैन को सिंगरोली, प्रवीण कृष्ण को बड़वानी, एसपीएस परिहार को खंडवा, अजय तिर्की को दमोह, शैलेन्द्र सिंह को छतरपुर, संजय सिंह को विदिशा, प्रमोद दास को गुना राजेश चतुर्वेदी को राजगढ़ जिला दिया है। उमा ने मना कर दिया, प्रधान के पास वक्त ही नहीं था केंद्रीय मंत्री उमा भारती और धर्मेंद्र प्रधान को भी प्रधानमंत्री मोदी मध्यप्रदेश के एक-एक जिले की जिम्मेदारी देना चाहते थे लेकिन उमा भारती मध्यप्रदेश नहीं आना चाहतीं। वहीं धर्मेंद्र प्रधान अतिव्यस्तताओं के चलते यह जिम्मेदारी लेने की स्थिति में नहीं थे। अब पिछड़े ब्लॉक की तलाश मध्यप्रदेश दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आठ पिछड़े जिलों की तरह प्रदेश के पचास पिछड़े ब्लाक भी चिन्हित किए जाएं। इनके लिए वही मापदंड अपनाए जाएं जो नीति आयोग ने तय किए हैं। इसके बाद से ब्लॉकों की परीक्षा प्रक्रिया शुरू हो गई है। आर्थिक एवं सांख्यकीय विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। एसीएस दीपक खांडेकर ने बैठकें शुरू कर दी हैं।
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