Monday 9 July 2018

खाने के साथ, आगे पांच साल खाने की भी व्यवस्था हो जाये तो क्या बात है....।




डाॅ. अरूण जैन
सुबह सुबह जैसे ही वाट्सएप के पट खोले तो कई ग्रुप में माननीय मुख्यमंत्री जी के बिल्कुल देसी अंदाज में सपरिवार खाना खाते हुए के फोटो झपाझप गिरने लगे ...। देखकर वाकई अच्छा लगा...बीते 12 सालों में चाहे   कसमसाती सत्ता को अपनी जकड़ से आज़ाद न होने दिया हो ...आम जनता को खूब झुनझुना पकड़ाया हो...लेकिन बन्दा है खालिस देसी..।अचानक ख्याल आया कि फ़ोटो आखिर किसने खींच मारा और इतने जल्दी सोशल मीडिया पर शेयर भी कर दिया ! साहब का परिवार तो खाना खा रहा है और जहां तक रसोईघर का सवाल है तो यह जगह बड़ी निजी व्यवस्था होती है..जहां हर कोई व्यक्ति अक्सर दाखिल नही हो पाता ...! तो भइया कौन था जो बेचारा अपनी भूख मारकर फ़ोटो खींच रहा था ? या फिर खास तौर फ़ोटो खींचने के लिए उस भाई को तैनात किया गया था ? छोडि़ए...लेकिन कुछ बात तो है ...जो अचानक ही मुख्यमंत्री जी का साधारण और देसी अंदाज फिर कैसे सुर्खियां बनने लगा ? सहसा याद आया कि चुनाव आने वाले हैं...। उपलब्धि के नाम पर महज़ भाषण और घोषणाएं हैं तो जाहिर हैं पुरानी वाली ब्रांडिंग फिर पकेगी ..। अरे वही... विनम्र, सरल, सहज, साधारण और देसी भैया वाली...। प्रदेश में यह ब्रांडिंग अब तक बहुत कारगर साबित हुई है । इस छवि पर कौन न नम्र पड़ जाए...। खैर..खाने के साथ आगे पांच साल खाने की भी व्यवस्था हो जाये तो क्या बात है....।

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