डाॅ. अरूण जैन
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू होती रही हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया था तो उस वक्त भी यह सवाल उठा था कि शिवराज सिंह ने भी अपने प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई है। लेकिन बदले परिस्थितियों में यह लगता है कि बीजेपी आलाकमान शिवराज सिंह को प्रदेश में मौका देने के विचार में है। क्योंकि पहले ये चर्चा कई बार हो चुकी है कि बीजेपी शिवराज को अब राष्ट्रीय राजनीति में लाना चाहती है। वहीं, मध्यप्रदेश में अब किसी नए चेहरे को मौका देना चाहती है। दरअसल, शिवराज सिंह की पहचान एक सुलझे हुए राजनेता के रूप में है। ऐसे में मोदी कैबिनेट में सुलझे हुए नेताओं की कमी है। कई महत्वपूर्ण मंत्रालाय प्रभार के सहारे चल रहा है। बीजेपी उन्हें दिल्ली लाकर महत्वपूर्ण मंत्रालय दे सकती है। शायद इसे लेकर शिवराज सिंह को हिंट भी कर दिया गया है। इसी लिए उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि यह कुर्सी अब मेरी नहीं है, इस पर कोई भी बैठ सकता है। शिवराज ने भले ही यह बात मजकिया लहजे में कहा हो लेकिन सियासत में इसके मायने कई निकाले जा रहे थे। वहीं, पिछले दिनों मध्यप्रदेश के दौरे पर आए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सीएम उम्मीदवार के बारे में पूछने पर कहा था कि पार्टी इस बार चेहरे नहीं बीजेपी के नाम पर चुनाव लड़ेगी। यानी संदेश साफ था कि इस बार शिवराज नहीं कोई और होगा। क्योंकि अब तक जो एमपी चुनाव हुए हैं, बीजेपी उनमें शिवराज सिंह को प्रोजेक्ट कर ही चुनाव लड़ी है। अगर शिवराज दिल्ली जाने को तैयार हो जाते हैं तो मोदी व शाह मध्यप्रदेश के लिए यश मैन की तलाश करेंगे। जो उनलोगों के हां में हां मिलाए। वो भले ही बैठा भोपाल में हो लेकिन कमान दिल्ली में रहे।
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