डाॅ. अरूण जैन
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान को लेकर अब पीएम नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। अमित शाह लगातार फीकबैक ले रहे हैं। हालांकि चुनाव साल के अंत में आने वाले हैं लेकिन भाजपा के दोनों दिग्गजों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही तीनों राज्यों के संगठन में बड़े बदलाव होंगे। तीनों सरकारें दिल्ली के दवाब में हैं। उन्हे टारगेट दिया गया है कि वो अपने पक्ष में लहर चलाएं। यदि माहौल नहीं बदला तो सीएम कैंडिडेट बदल दिया जाएगा। क्चछ्वक्क नेताओं की चिंता कर्नाटक से ज्यादा साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों की है। यही वजह है कि अब पार्टी इन राज्यों के लिए संगठन में बदलाव भी कर सकती है। पार्टी नेताओं का मानना है कि ये तीनों राज्यों की स्थिति लगभग गुजरात वाली ही है, जहां पार्टी की साख दांव पर है। यही वजह है कि पार्टी अब इन राज्यों के लिए अपने संगठन में कुछ बदलाव कर सकती है। फिर आएंगे अमित शाह पार्टी सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय नेतृत्व फिलहाल चाहता है कि इन तीनों ही राज्यों में सरकार और संगठन के बीच तालमेल और बेहतर हो ताकि जिन कमियों को महसूस किया जा रहा है, उन्हें राज्य सरकारें वक्त रहते दुरुस्त करे लें। इसके अलावा पार्टी इन तीनों राज्यों में न सिर्फ सरकार के कामकाज बल्कि विधायकों के बारे में भी सर्वे करा रही है ताकि जिन क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति कमजोर हो, वहां अभी से काम शुरू कर दिया जाए। हाल ही में खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इन तीनों ही राज्यों की स्थिति के बारे में आकलन भी किया और फिर राज्य सरकारों को कुछ जनता से जुड़ी योजनाओं पर काम करने के भी निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में एक बार फिर शाह इन राज्यों का दौरा करके वहां के संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक करके जमीनी हकीकत का आकलन करेंगे। ग्रामीण इलाकों पर फोकस, कांग्रेस में तोडफ़ोड़ गुजरात चुनाव के बाद अब पार्टी इन तीनों ही राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस करना चाहती है। पार्टी ने खासतौर पर मध्यप्रदेश सरकार से कहा है कि वह संगठन के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में फीडबैक लेकर वहां आवश्यकतानुसार राहत योजनाएं लागू करे। इसी तरह से छत्तीसगढ़ में पार्टी ने अभी से उन नेताओं को भी टटोलना शुरू कर दिया है, जिनको अपने साथ लाकर कांग्रेस को झटका दिया जा सके। क्या चुनौतियां हैं तीनों राज्यों में पार्टी को लग रहा है कि अगर इन तीनों राज्यों में निगेटिव नतीजे आए तो उससे लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उसके लिए माहौल खराब हो सकता है। चिंता की बात यह है कि राजस्थान में यह परंपरा रही है कि हर बार सरकार बदल जाती है। मध्यप्रदेश में भाजपा से ज्यादा सीएम शिवराज सिंह चौहान का विरोध हो रहा है जबकि 2013 तक शिवराज सिंह मप्र के सबसे लोकप्रिय भाजपा नेता थे। छत्तीसगढ़ में भी भाजपा से ज्यादा रमन सिंह का विरोध है। यहां त्रिकोणीयक मुकाबला हो सकता है। यह भाजपा को फायदा पहुंचाएगा या नहीं, अभी समझ नहीं आ रहा है।
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