Monday, 9 July 2018

मप्र नगरपालिका चुनाव ; खड़ा हो गया ऊंट, किसी भी करवट बैठ सकता है

डाॅ. अरूण जैन
मध्यप्रदेश में हुए नगरपालिका चुनाव परिणाम की जनादेश के आधार पर सरल शब्दों में समीक्षा की जाए तो आप कह सकते हैं कि मप्र में ऊंट खड़ा हो गया है, अब वो किसी भी करवट बैठ सकता है। जनता ने एक तरफ का अतिआत्मविश्वास तोड़ दिया तो दूसरी तरफ का मुगालता भी जमीन चाटता नजर आया। कुल 19 परिषदों में सीधे चुनाव हुए। इनमें से 9 भाजपा को मिलीं, 9 कांग्रेस को और शेष बची एक जनता ने निर्दलीय को दे दी। भाजपा का अति आत्मविश्वास क्या था भाजपा के दिग्गज नेता इन दिनों अतिआत्मविश्वास का शिकार हैं। उनका कहना है कि मप्र में विकास की बाढ़ आ गई है। शिवराज सिंह से ज्यादा लोकप्रिय कोई नेता है ही नहीं। शिवराज सिंह की रैलियां जादू करतीं हैं। शिवराज सिंह के भाषण वोट खींच लाते हैं। चुनाव के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने कई सभाएं और रैलियां कीं। बावजूद इसके 19 में से 9 पर सिमटकर रह गई। इस परिणाम को देखकर भी यदि कोई मिठाई बांट दे तो उसे आत्ममुग्ध ही कहा जाएगा। चौंकाने वाली बात तो यह है कि अनूपपुर की जैतहरी सीट से भाजपा ने एक ऐसे प्रत्याशी को टिकट थमा दिया जिसकी जीत की संभावनाएं ही नहीं थीं। नवरत्नी शुक्ला निर्दलीय मैदान में उतरीं तो उन्हे निष्कासित कर दिया। नंदकुमार सिंह को लगता होगा कि उनके निष्कासित कर देने से जनता भी निष्कासित कर देगी परंतु ऐसा नहीं हुआ। भाजपा के हाथ से यह सीट फिसल गई। कांग्रेस का मुगालता क्या है कांग्रेसी नेताओं ने इन दिनों एक अजीब सा मुगालता पाल लिया है। उन्हे लगता है कि मप्र में शिवराज सिंह विरोधी लहर चल रही है। वो कुछ भी नहीं करेंगे तब भी जीत जाएंगे। जमीनी हकीकत से दूर पीसीसी के कर्ताधर्ताओं ने नगरपालिका चुनाव में प्रत्याशियों का ऐलान भी लास्ट डेट पर किया गया। मुगालता देखिए कि बड़वानी की सेंधवा सीट पर एक दागी नेता के सामने कांग्रेस ने सरेंडर कर दिया। यहां कांग्रेस अपना प्रत्याशी ही नहीं उतार पाई। कांग्रेस का टिकट खुले मैदान में पड़ा था, किसी ने नहीं उठाया। कांग्रेस के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक शायद कुछ भी नहीं हो सकता। जनता ने 19 में से 9 सीटें देकर कांग्रेस को समझा दिया कि मुगालते में ना रहें, शिवराज सिंह विरोधी लहर से कांग्रेस की जीत सुनिश्चित नहीं होती। 

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